जब कोई व्यक्ति किसी को किसी अपराध करने के लिए उकसा देता है और उकसाहट में व्यक्ति कोई अपराध कर देता है, तब उकसाने वाला व्यक्ति उसी अपराध का दोषी जो अपराध मुख्य आरोपी करता है। अगर उकसाने वाला व्यक्ति वहां मौजूद नहीं है तब भी वह उस अपराध का दोषी होगा। इस अपराध के साबित करने का पूरा भार मुख्य आरोपी पर होता है कि उसने जो अपराध किया है वह किसी के उकसाहट में किया है।
इस संबंध में एक महत्त्वपूर्ण जजमेंट जानिए
देवधर सिंह बनाम सम्राट मामले मे अभिनिर्धारित किया गया कि रिश्वत देते समय एक व्यक्ति की घटनास्थल पर उपस्थिति तथा बाद में यह तथ्य अधिकारियों को बताने मात्र से उसे इस धारा के अंतर्गत दायित्वधीन नहीं माना जा सकता है जब तक साबित न किया जा सके।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 54 की परिभाषा
जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कोई अपराध करने के लिए उकसाता है, तब उस व्यक्ति का घटना स्थल पर होना आवश्यक होता है। यह धारा तब लागू होती है जब दुष्प्रेरक वहीं उपस्थित हो। जैसे की क, ख को मारने के लिए उकसाता है तब क, भी वहीं होना चाहिए।
Section 54 of the Indian Penal Code, 2023 provides for punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय होते है, पर जमानतीय/ अजमानतीय दोनों प्रकार के हो सकते है अर्थात पुलिस डायरेक्ट एफआईआर दर्ज करेगी, लेकिन अपराध की प्रवृति के अनुसार थाने से या कोर्ट से ही जमानत मिलेगी। इनकी सुनवाई अपराध के अनुसार उसी न्यायालय में होगी जहां मुख्य आरोपी का ट्रायल चलेगा एवं दण्ड भी उसी अपराध से मिलेगा जो मुख्य आरोपी का होगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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