मौसम केंद्र भोपाल ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रहने वाले नागरिकों के लिए रेड अलर्ट जैसी स्थिति है। पिछले 10 दिन में भोपाल का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री नीचे गिर गया है। इसके साथ ही 58 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। यदि 0.3 डिग्री सेल्सियस तापमान और काम हो गया तो भोपाल में ठंड का अब तक का ओवरऑल रिकॉर्ड टूट जाएगा और एक नया रिकॉर्ड बन जाएगा। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है।
भोपाल में ठंड का कहर बरस रहा है
सन 1966 में भोपाल का सबसे न्यूनतम तापमान 3.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इस साल 2024 में रविवार-सोमवार की रात भोपाल का न्यूनतम तापमान 3.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यदि आज की रात तापमान में 0.3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आ जाती है, तो भोपाल में ठंड का अब तक का सारा रिकॉर्ड टूट जाएगा और एक नया रिकॉर्ड बन जाएगा। 6 दिसंबर को भोपाल का न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस था। 16 दिसंबर को भोपाल का न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम है। सिर्फ 10 दिन में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस गिर गया है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति है। सिर्फ बूढ़े, बच्चे और बीमार लोग ही नहीं बल्कि पूरी तरह से स्वस्थ लोगों का स्वास्थ्य भी इस मौसम के कारण प्रभावित होगा।
भोपाल में ठंड के मौसम का पूर्वानुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, कम से कम अगले 2 दिनों तक राजधानी भोपाल में तीव्र शीत लहर चलती रहेगी। दोपहर की धूप भी आराम नहीं दे पाएगी। प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वह किसी भी स्थिति में किसी भी इंसान को रात के समय खुले आसमान के नीचे सोने नहीं दे। गर्म कपड़े और कंबल दान करने वाले समाजसेवी घरों से निकलें क्योंकि, यही समय है जब लोगों को गर्म कपड़े और कंबल की जरूरत है। रात के समय तो दूर की बात, दिन के समय भी जरूरत होने पर ही चार दिवारी के बाहर निकलें।
शीत लहर और ठंड से बचने के उपाय
लम्बे समय तक शीत के सम्पर्क में रहने से मस्तिष्क को गंभीर क्षति हो सकती है इस अवस्था को हाइपोथर्मिया कहा जाता है। इसके कारण शरीर में गर्मी के हास से कंपकपी, बोलने में दिक्कत, अनिद्रा, मांसपेशियों
में अकडन, सांस लेने में दिक्कत/निश्चेतन की अवस्था हो सकती है। ऐसी अवस्था में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
ठंड के मौसम में आपकी त्वचा, हाथ-पैरों की अंगुलियों में रक्त वाहिकाएँ संकरी हो जाती हैं, इसलिए कम गर्मी के कारण हृदय गति बढ़ जाती है और हृदय के लिए आपके शरीर में रक्त पंप करना कठिन हो जाता
है। इसलिए ठण्ड में बाहर कम समय बिताएँ।
शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगों के लक्षणों जैसे कि संवेदनशून्यता, सफ़ेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उँगलियों, कान की लौ तथा नाक की ऊपरी सतह का ध्यान रखे।
शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदनशून्य तथा लाल फफोले पड़ सकते है। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे गैंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। अतः शीत लहर के पहले लक्षण पर ही डॉक्टर से संपर्क करें तथा तब तक अंगों को गरम करने का प्रयास करें।
शरीर की गर्माहट बनाये रखने हेतु अपने सर, गर्दन, हाथ और पैर की उँगलियों को अच्छे से ढंके एवं पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे- दस्ताने, टोपी, मफलर, एवं जल रोधी जूते आदि पहने। शीत लहर के समय जितना
संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो ही बाहर यात्रा करें।
इस समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ का अवश्य सेवन करें।
कोहरे में मौजूद कण पदार्थ और विभिन्न प्रकार के प्रदूषक के संपर्क मे आने पर फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होने, खांसी और सांस की समस्या बढ्ने की संभावना है, अतः नियमित व्यायाम करे व मास्क का प्रयोग करें।
वाहन को धीमी या औसत गति पर चलाएं, अगली वाली गाड़ी से पर्याप्त दूरी बनाये रखे एवं फॉग लैंप का इस्तेमाल करे।
मौसम की जानकारी तथा आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का सूक्ष्मता से पालन करे एवं शासकीय एजेंसियों की सलाह के अनुसार कार्य करे।
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