BHOPAL में नए साल की शुरुआत इन मंदिरों के दर्शन के साथ करें - Ancient Temple

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लाखों लोग नए साल की शुरुआत अपने आराध्य देव के दर्शन से करते हैं। भोपाल में कई प्राचीन मंदिर हैं। लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ सुबह सबसे पहले मंदिर जाकर अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं और फिर साल की शुरुआत होती है। हम भोपाल के उन पांच प्राचीन मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जहां जाने से अद्भुत ऊर्जा की अनुभूति होती है। नए साल की शुरुआत इसी ऊर्जा के साथ की जा सकती है। 

भोजेश्वर मंदिर, भोपाल

भोजपुर (Bhojpur) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान है। वेत्रवती नदी (बेतवा नदी) के किनारे बसा है। प्राचीन काल का यह नगर "उत्तर भारत का सोमनाथ' कहा जाता है। गाँव से लगी हुई पहाड़ी पर एक विशाल शिव मंदिर है। इस नगर तथा उसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (१०१० ई.- १०५३ ई.) ने किया था। अतः इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। भोपाल का जो बड़ा तालाब है, 11वीं शताब्दी में यह तालाब भोजेश्वर महादेव के मंदिर से प्रारंभ होता था। 

लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर), भोपाल

यह भोपाल का प्राचीन मंदिर तो नहीं है। इसका शिलान्यास 1960 में हुआ था परंतु यह भोपाल का एक भव्य मंदिर है जो अरेरा हिल्स पर स्थित है। यह मंदिर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है। भोपाल की सबसे सुंदर अरेरा पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर अपनी वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्द है। यहां से भोपाल शहर का सुन्दर दृश्य भी देखा जा सकता है। मंदिर के पास स्थित संग्रहालय में प्राचीन मूर्तियों और ऐतिहासिक वस्तुएं भी देखने लायक हैं। 1 जनवरी को यहां हजारों लोग दर्शन हेतु पहुंचते हैं। 

मनुआ भान की टेकरी

एयरपोर्ट रोड स्थित मनुआभान की टेकरी पर श्वेतांबर जैन समाज का प्रसिद्ध मंदिर है। इस टेकरी का नाम महावीर गिरी हो चुका है लेकिन लोग इसे अब भी मनुआभान की टेकरी के नाम से ही पुकारते हैं। इस टेकरी की इतिहास 150 साल से भी अधिक पुराना है। श्वेतांबर जैन समाज इसे तीर्थस्थल मानता है। बरसों पहले यहां तीर्थंकर महावीर स्वामी की प्रतिमा मिली थी। इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित कर दिया गया। टेकरी से राजा भोज एयरपोर्ट सहित राजधानी के विभिन्न् हिस्सों का विहंगम दृश्य नजर आता है। इस पर्वत श्रृंखला को भगवान शिव और पार्वती की पूजा का प्राचीन स्थान भी माना जाता है। 

गुफा मंदिर भोपाल 

गुफा मंदिर भोपाल के प्रमुख पर्यटन स्थलों के शीर्ष में सम्मिलित है तथा शहर के केंद्र से लगभग 5 किलो मीटर की दूरी पर लालघाटी नामक स्थान पर स्थित है और यात्रियों व दर्शकों के मध्य आकर्षण का केंद्र है। गुफा मंदिर की खोज वर्ष 1949 में श्री महंत नारायणदास जी त्यागी द्वारा की गई थी तथा पुनर्निर्माण कार्य 02 अप्रैल 1965 (चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा दिन शुक्रवार संवत 2022) को उन्हीं के द्वारा किया गया था। यहां स्थित शिवलिंग कब से अस्तित्व में है, इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। श्री महंत नारायणदास जी त्यागी कि पहले भी गुफा मंदिर अस्तित्व में था। 

सीहोर के चिंतामन गणेश

दिनांक 1 जनवरी को बुधवार का दिन है। साल 2025 का शुभारंभ भगवान श्री गणेश के दर्शन से किया जाना शुभ और मंगलकारी माना जाता है। भोपाल के नजदीक सीहोर में स्थित चिंतामन गणेश मंदिर देश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। कहते हैं कि यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। ऐसी मान्यता है कि यहां के गणेश जी प्रार्थना जल्दी सुनते हैं। चिंता दूर करते हैं व मुरादे भी पूरी करते हैं। सीहोर के चिंतामन गणेश भारत में स्थित चार स्वयंभू प्रतिमा में से एक माने जाते हैं। अर्थात यह प्रतिमा प्राकृतिक रूप से प्रकट हुई है और इसे यहां से विस्थापित नहीं किया जा सकता है।

सलकनपुर बिजासन माता मंदिर

भोपाल के नजदीक विंध्याचल की पर्वत श्रृंखला पर स्थित सलकनपुर बिजासन माता मंदिर समुद्र तल से 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जहां माता बिजासन की एक सुंदर मूर्ति है। इस मंदिर में देवी लक्ष्मी, मां सरस्वती और भैरव देव का भी पूजन किया जाता है। यह एक प्राचीन मंदिर है और इसके साथ कई धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। सलकनपुर भोपाल से सिर्फ 60 किलोमीटर दूर स्थित है।

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