यह तो सबको पता है कि, भोपाल शहर के पश्चिम में जंगल में एक लावारिस INOVA मिली है जिसके अंदर 50 किलो से ज्यादा गोल्ड और 10 करोड़ से ज्यादा कैश नोट भरे हुए थे। यह भी पता चल गया है कि INOVA, ग्वालियर आरटीओ में सौरभ शर्मा के ड्राइवर चेतन गौर के नाम रजिस्टर्ड है। अब बाजार में सवाल यह है कि इनकम टैक्स वालों को कैसे पता चला कि जंगल में कोई INOVA खड़ी है। चर्चा यह भी है कि उस INOVA पर RTO लिखा था और वह मंत्री के यहां जा रही थी।
भोपाल में आयकर विभाग को 50 करोड़ की CAR मिला - INOVA NUMBER MP07 BA 0050
आयकर विभाग की टीम को भोपाल के मेंडोरी जंगल में मिली गोल्ड और नगद नोटों से भरी इनोवा का नंबर MP07 BA 0050 बताया गया है। यह गाड़ी ग्वालियर के चेतन सिंह गौर के नाम रजिस्टर्ड बताई जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि चेतन सिंह गौर, करोड़पति कारोबारी सौरभ शर्मा का ड्राइवर था। आजकल ड्राइवर से ज्यादा है। बरामद किए गोल्ड का वजन 50 किलो से अधिक और बाजार मूल्य 40 करोड़ से अधिक बताया गया है। इस हिसाब से आयकर विभाग को भोपाल के जंगल में 50 करोड़ की CAR मिली है।
क्या पूरी इन्वेस्टिगेशन किसी पर दबाव बनाने के लिए हो रही है
इस मामले से जुड़े हुए तमाम सवालों के जवाब मध्य प्रदेश के किसी भी पुलिस थाने का असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर भी पता कर सकता है परंतु मामला हाई प्रोफाइल है। इन्वेस्टिगेशन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और लोकायुक्त के पास है। क्या आपने कभी ऐसा देखा है कि, गोल्ड और नगद नोटों भरी हुई कोई गाड़ी पकड़ी गई हो और पकड़ने वाली टीम के फोटोग्राफ उसे गाड़ी के साथ नहीं जारी हुए हों। हमारी पुलिस तो चालान काटने वाली गाड़ी के भी फोटो जारी करती है, लेकिन इस मामले में नोटों और गोल्ड को CAR से निकाल कर जमीन पर रखा गया और फिर टीम के साथ फोटो जारी किया गया।
बड़ी चतुराई के साथ CAR को छुपा लिया गया था। बाद में CAR का नंबर सार्वजनिक करना पड़ा लेकिन CAR पर RTO लिखी हुई सरकारी प्लेट लगी थी, यह जानकारी छुपा ली गई। पब्लिक ने ऑनलाइन सर्च करके बताया है की गाड़ी ग्वालियर वाले चेतन गौर के नाम रजिस्टर्ड है। पत्रकारों ने बताया है कि, ग्वालियर वाला चेतन गौर, बिल्डर सौरभ शर्मा का पुराना ड्राइवर है। पिछले कुछ समय से दोनों के संबंध ड्राइवर और मालिक से ज्यादा है। पत्रकारों और पब्लिक ने इतनी छानबीन कर दी लेकिन, अब तक चेतन सिंह गौर को हिरासत में नहीं लिया गया है।
क्या हवाला के लिए सौरभ शर्मा ने VRS लिया था
कहा जा रहा है कि, मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में बड़े पैमाने पर हवाला होता है। इसके लिए बाजार वाले हवाला नेटवर्क का उपयोग नहीं कर सकते। अपना विश्वास पात्र नेटवर्क चाहिए। ग्वालियर में पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने वाला सौरभ शर्मा, परिवहन विभाग के कमिश्नर नहीं बल्कि कमिश्नर ऑफिस का विश्वास पात्र हो गया था। कमिश्नर और मंत्री कोई भी हो। काश ट्रांसपोर्टेशन का काम सौरभ शर्मा देखा था। इसलिए उसने अपने ड्राइवर के नाम से INOVA खरीदी थी ताकि कभी पकड़े जाएं तो चेतन सिंह को राउंडअप किया जाएगा और उसके पास स्वयं को एवं चेतन सिंह को बचाने का समय होगा। यदि यही प्लानिंग थी तो, सौरभ शर्मा का प्लान वर्क कर रहा है।
अर्थात परिवहन विभाग का हवाला नेटवर्क लीड करने के लिए उसने परिवहन विभाग की सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्राप्त कर ली थी।
विनम्र अनुरोध 🙏 कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। भोपाल के महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में Bhopal पर क्लिक करें।