BHOPAL NEWS - ग्वालियर वाले सौरभ शर्मा के यहां लोकायुक्त का छापा, रियल एस्टेट कारोबारी है

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में करोड़पति कारोबारी, रियल एस्टेट, होटल और हाई प्रोफाइल प्राइवेट स्कूल में इन्वेस्ट करने वाले बिल्डर सौरभ शर्मा के यहां लोकायुक्त पुलिस ने छापामार कार्रवाई की है। उनके खिलाफ शिकायत की गई थी कि उन्होंने मध्य प्रदेश शासन के परिवार में विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के दौरान बड़े पैमाने पर काली कमाई की है। प्रारंभिक जांच में शिकायत सही पाई गई इसलिए एविडेंस कलेक्ट करने हेतु लोकायुक्त पुलिस की टीम सर्चिंग कर रही है। 

सौरभ शर्मा ने RTO की नौकरी से VRS ले लिया था

सौरभ शर्मा, मध्य प्रदेश शासन के परिवहन विभाग (MP RTO) में आरक्षक के पद पर काम कर चुके हैं। एक साल पहले वॉलंटरी रिटायरमेंट लेकर रियल स्टेट का कारोबार शुरू कर दिया था। उनका एक होटल भी है, और एक दोस्त भी है जो उनके कारोबार में राजदार है। लोकायुक्त पुलिस ने होटल और उनके दोस्त के यहां भी छापामार कार्रवाई की है। आप है कि सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग में पोस्टिंग के दौरान बड़े पैमाने पर काले धन की कमाई की थी। सिर्फ 12 साल की नौकरी में उन्होंने करोड़ों का बिजनेस अंपायर खड़ा कर लिया।सौरभ शर्मा फिलहाल दुबई में हैं। घर में केवल मां और नौकर हैं।

बिल्डर सौरभ शर्मा ने होटल और प्राइवेट स्कूल में भी इन्वेस्टमेंट किया है

सौरभ शर्मा वीआरएस लेने से पहले ही रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ गए थे। प्रदेश के कई रसूखदारों से उनकी नजदीकी थी। लिहाजा कार्रवाई के डर से उन्होंने वीआरएस लिया और बिल्डर बन गए। भोपाल सहित प्रदेश के कई जिलों में उनकी संपत्ति होने के प्रमाण लोकायुक्त को मिले हैं। अब तक की कार्रवाई में सौरभ के एक होटल और एक बड़े प्राइवेट स्कूल में निवेश के प्रमाण लोकायुक्त टीम को मिले हैं।

एडीजी ने 2 स्थानों पर छापे की पुष्टि की

डीजी लोकायुक्त जयदीप प्रसाद ने बताया कि सौरभ शर्मा के दो ठिकानों पर कार्रवाई की जा रही है। सुबह 7 बजे दो टीमों को उसके अलग-अलग ठिकानों पर रवाना किया गया था। उसके खिलाफ पहले शिकायत मिली थी। इसकी जांच के बाद कार्रवाई की गई है।

ग्वालियर के सौरभ शर्मा को पिता की जगह अनुकंपा नौकरी मिली थी 

बताया जा रहा है कि सौरभ को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। उनके पिता पहले परिवहन विभाग में पदस्थ रहे हैं। मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले सौरभ साधारण परिवार से थे। चंद साल की नौकरी में ही रहन-सहन बदल गया था। इसकी शिकायत विभाग सहित अन्य स्थानों पर की जाने लगीं। इस पर सौरभ ने वीआरएस लेने का फैसला लिया। इसके बाद भोपाल के कई नामचीन बिल्डरों के साथ प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करने लगे। 

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