मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन मेला विवादित हो गया है। सरकार जिन मान्यताओं के विरुद्ध प्रचार प्रसार करती है, वन मेला में ऐसी वस्तुओं का विक्रय किया जा रहा है। जड़ी बूटियां की जगह अंगूठियां बेची जा रही है। दावा किया जा रहा है कि ने इससे नि:संतानों को संतान प्राप्त हो जाएगी। एक यंत्र बेचा जा रहा है। कहते हैं कि इसके माध्यम से आप अपने घर में बैठकर किसी भी व्यक्ति के मन पर कंट्रोल कर सकते हैं।
भोपाल के वन मेला में स्पेशल हाई पावर अंगूठियों की दुकान
दुकानदार दावा करता है कि वह इन अंगूठियां को हरिद्वार से लाया है। इनकी कीमत 250 रुपये से शुरू होकर 1100 रुपये तक है। कहता है कि 1100 रुपये वाली अंगूठियां सबसे ज्यादा पावरफुल हैं। सरकारी विज्ञापन में बताया गया था कि, आदिवासी समुदायों और वन उत्पादों की समृद्ध परंपरा को बढ़ावा देने के लिए भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय वन मेला का आयोजन किया गया है परंतु मेला के अंदर तो कुछ और ही दिखाई दे रहा है। सिर्फ एक नहीं बल्कि 10 से ज्यादा दुकान ऐसी है जिनका आदिवासी, वन और आयुर्वेद से कोई रिश्ता ही नहीं है।
प्रबंध निदेशक विभाष ठाकुर का बहाना पढ़िए
सवाल करने पर, मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक विभाष ठाकुर ने कहा कि सभी स्टॉलों की जांच की जाएगी और अंधविश्वास फैलाने वाले स्टॉलों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सवाल यह है कि जब मिला राजधानी में है, नाम के साथ अंतरराष्ट्रीय जुड़ा है, बड़े पैमाने पर प्रमोशन हो रहा है, तो ठाकुर साहब खुद जाकर चेक क्यों नहीं कर लेते हैं। मेला शुरू होने से पहले चेक क्यों नहीं कर लिया और इतना बड़ा मेला भी नहीं है कि हर रोज चेक ना किया जा सके।
भोपाल वन मेला की दुकान ब्लैक में बिकती हैं
मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक विभाष ठाकुर और उनके अधीनस्थ अधिकारियों को वन मिला आयोजित करने और उसे व्यवस्थित बनाए रखने के लिए वेतन, आवास और सरकारी सुविधाएं मिलती हैं। इसके बाद भी उन्हें मेले में होने वाली भी गड़बड़ी की जानकारी नहीं है। हमारे रिपोर्टर को सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन नहीं मिला उसके बाद भी सब कुछ पता लगा लिया गया है। वन मेला में दुकानों को आदिवासियों के नाम आवंटित किया जाता है और फिर उन्हें ब्लैक में बेच दिया जाता है। डॉक्यूमेंट में जहां जड़ी बूटी की दुकान होती है, मेले में वहां पर एसिड वाले गोलगप्पे बिक रहे होते हैं। जी मेले में आयुर्वेद के वैद्य होने चाहिए वहां पर अवैध दुकानों की श्रृंखला है। दलाल भी वन मेले में ही मिल जाते हैं। हमारे रिपोर्टर ने बताया कि, अभी भी दुकान उपलब्ध है। यदि ठाकुर साहब भुगतान करने को तैयार हो तो उनको दिलवाई जा सकती है।
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