हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की इंदौर बेंच ने मध्य प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्थाओं के एक, वर्षों से स्थापित विवाद का निराकरण कर दिया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि किसी भी वरिष्ठ अधिकारी अथवा कर्मचारियों को, उसके जूनियर अधिकारी अथवा कर्मचारियों के अधीन काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। यह फैसला विद्वान न्यायाधीश, श्री विजय कुमार शुक्ल द्वारा सुनाया गया।
डॉ. वेद प्रकाश पांडे बनाम चिकित्सा शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश शासन
प्रो. डॉ. वेद प्रकाश पांडे की इंदौर में डीन के पद पर सीधी भर्ती से नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 10 दिसंबर को सुनवाई हुई। इसमें जस्टिस शुक्ला ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि डॉ. पांडेय से जूनियर डॉ. अशोक यादव को किस आधार पर डीन का प्रभार सौंपा गया। एक जूनियर अपने सीनियर की गवर्नर रिपोर्ट कैसे तैयार कर सकता है। सरकार के वकील ने तर्क दिया कि प्रोफेसरों की गोपनीय रिपोर्ट डीन नहीं, बल्कि कमिश्नर व संचालक लिखते हैंं। हालांकि, इस दावे के समर्थन में कोई दस्तावेज पेश नहीं दे सके।
सभी पक्षों को सुनने के बाद, जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी सीनियर प्रोफेसर को जूनियर के अधीन काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश पांडे को एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर का डीन नियुक्त करने का आदेश भी दिया।
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