BNS 42 - संपत्ति की रक्षा के लिए व्यक्ति की अपहानि करने का अधिकार कहाँ से मिला जानिए

बहुत से लोग किसी व्यक्ति की निजी संपति पर अवैध कब्जा जमा कर बैठ जाते है। किसी सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर लेते है। ऐसे में उनसे भूमि को छुड़ाने के लिए वैध व्यक्ति बाध्य होता है अगर अवैध कब्जा को छुड़ाते हुए अतिक्रमण करने वाले व्यक्ति को गंभीर चोट या समान्य चोट आ जाए तो संपति स्वामी को सजा होगी या माफ़ी मिलेगी। जानिए:-

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 42 की परिभाषा

अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए किसी अतिचार करने वाले व्यक्ति को गंभीर चोट या कम गंभीर चोट पहुंचाता है तो उसे प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त होगा। जैसे कि कोई चोर ,चोरी करने के उद्देश्य से, कोई व्यक्ति अवैध कब्जा करने के उद्देश्य से आपराधिक अतिचार करता है।

इस संबंध में महत्वपूर्ण जजमेंट :-

1. इन्दर सिंह बनाम सम्राट मामले मे यह विनिश्चित किया गया कि किसी ऐसे व्यक्ति को जिसका पहले से ही भूमि पर स्थाई कब्जा है, उसे IPC की धारा 104 (अब वर्तमान मे BNS की धारा 42) के अंतर्गत अपने कब्जे को यथावत बनाए रखने तथा अतिचारी को बेदखल करने मे निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए मृत्यु से कम चोट पहुंचाने का अधिकार होगा।

2. नेमीचंद बनाम राज्य मामले मे न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि सरकारी भूमि पर आपराधिक अतिचार या रिष्टि रोकने के लिए वनरक्षक को निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करने का अधिकार होगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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