एक व्यक्ति स्वयं कोई अपराध नहीं करता है लेकिन किसी अन्य व्यक्ति को अपराध करने के लिए उकसा देता है। वह व्यक्ति दुष्प्रेरण के अपराध का दोषी होता है। यहां, हम आपको बता दें कि दुष्प्रेरण का अर्थ होता है उकसाना या किसी व्यक्ति की दोषपूर्ण कार्य में सहायता करना या उसे प्रोत्साहित करना।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 45 की परिभाषा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 45 में दुष्प्रेरण के अपराध को एक दण्डनीय अपराध माना गया है अर्थात् व्यक्ति स्वयं किसी अपराध में भाग न लेकर किसी अन्य व्यक्ति को उकसाता है अपराध करने के लिए वह दुष्प्रेरण के अपराध का दोषी होगा।
कानून में दुष्प्रेरण के अपराध के तीन प्रमुख तत्व बताए गए हैं:-
1. उकसाने के द्वारा अपराध करवाना।
2. षड्यंत्र में शामिल करने अपराध करवाना।
3. आशय पूरा करवाने के लिए अपराध में सहयोग देकर दुष्प्रेरण करना।
इसी संदर्भ मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताया गया है
किशोरी लाल बनाम मध्यप्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुष्प्रेरण का अपराध तीन प्रकार से किया जा सकता है -
1. किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए उकसाने द्वारा।
2. षड्यंत्र द्वारा।
3. किसी व्यक्ति को कोई अपराध कार्य में जानबूझकर सहायता पहुंचाकर।
लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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