भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 45 में दुष्प्रेरण के अपराध का प्रावधान किया गया है। इस अपराध के तीन प्रमुख तत्व बताये गये हैं, जिनमे से प्रथम प्रमुख तत्व है उकसाने द्वारा दुष्प्रेरण करना अर्थात जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को किसी कार्य को करने के लिए भड़काता है, तब यह कहा जाएगा कि उस व्यक्ति को वह कार्य करने के लिए उकसाया गया है, लेकिन किसी को परामर्श या सलाह देना, उकसाने का अपराध नहीं होगा जब तक उस सलाह या परामर्श मे आपराधिक उद्देश्य न हो।
इससे संबंधित एक उदहारण:-
अमित, नामक व्यक्ति किसी कार्य के लिए सुमित, की पत्नी से मिलने जाता है। पवन, जो अन्य व्यक्ति है, अमित और सुमित के बीच झगड़ा करवाने की नीयत से सुमित, से कहता है कि अमित, उसकी पत्नी से अवैध संबधों के कारण मिलने गया था। कोई भी सभ्य व्यक्ति इसे सहन नहीं कर सकता है। मैं होता तो उसकी टांग तोड़ देता। यदि पवन, के इस कथन के कारण सुमित, अमित पर हमला करता है तो पवन, दुष्प्रेरण (उकसाने) के अपराध का दोषी होगा।
बोल कर स्वीकृति दुष्प्रेरण का अपराध कब होगा जानिए महत्वपूर्ण निर्णय:-
▪︎ सम्राज्ञी बनाम मोहित पांडे मामले मे बताया गया है कि किसी भी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए मजबूर कर देना दुष्प्रेरण का अपराध होगा।
▪︎ संजू उर्फ संजय सिंह सेंगर बनाम मध्यप्रदेश राज्य मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'जाओ मर जाओ, शब्द कहने से अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है तो यह उकसाहट (दुष्प्रेरण) का अपराध नहीं होता है।
लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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