Legal Advice- मेहर क्या है, क्या मेहर ना मिलने पर महिला, पति से तलाक ले सकती है, जानिए

मेहर शब्द का अर्थ होता है उपहार, स्त्रीधन या दहेज, जब कोई मुस्लिम पुरूष किसी मुस्लिम महिला से विवाह करता है तो वह मुस्लिम महिला को, जिससे शादी कर रहा है, उसे मेहर के रूप में धनराशि, कोई भूमि, कोई मकान अनाज, वस्तु आदि देता है। 

मुस्लिम विधि में स्त्री, पुरूष से तलाक नहीं ले सकती है

मेहर देने के के बाद उस पुरूष का स्त्री पर पूरा अधिकार हो जाता है। स्त्री पुरूष से तलाक नहीं ले सकती है। मुस्लिम विधि में स्त्री सिर्फ पुरुषों के शारिरिक संबंध के लिए होती है, उसे मेहर देकर खरीदा जाता है अर्थात मुस्लिम विवाह एक संविदा विवाह है। जबकि हिन्दू विवाह एक संस्कार बताया गया है। अब सवाल यह है कि अगर कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मेहर न दे तो यह तलाक का कारण हो सकता है जानिए महत्वपूर्ण जजमेंट:-

मुस्लिम स्त्री अगर किसी मुस्लिम पुरूष से संविदा अर्थात प्रस्ताव (एजाब), स्वीकृति (कबूल) और मेहर की प्रक्रिया के अनुसार विवाह कर लेती है तो वह अपने पति से सम्पूर्ण जीवन काल में कभी तलाक नहीं ले सकती है। लेकिन पति को चार शादी करने का अधिकार है। 

1. अब्दुल कादिर बनाम मुसम्मात सलीमा:- मामले में न्यायधीश महमूद ने मुस्लिम विवाह ओर मेहर की तुलना एक विक्रय संविदा से की है, इस विक्रय संविदा में मेहर को शारीरिक संभोग के प्रतिफल-स्वरूप माना जा सकता है। अगर पुरुष स्त्री को प्रतिफ़ल स्वरूप मेहर नहीं देता है तो विवाह संविदा शून्य मानी जा सकती है। लेकिन अगर मेहर नहीं दिया एवं स्त्री से शारीरिक संबंध भी नहीं बनाए तो विवाह संविदा शून्य नहीं होगी।

2. अनीस बेगम बनाम मालिक मोहम्मद इस्तफ़ा:- मामले में न्यायधीश द्वारा कहा गया कि मेहर की राशि को तुरंत देना चाहिए न की उसे किश्तों में। बिना मेहर की राशि दिए स्त्री से मुस्लिम पुरुष शारीरिक संबंध नहीं बना सकता है, न ही बच्चे पैदा कर सकता है।

3. मोहम्मद अहमद खां बनाम शाहबानो बेगम :- मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किया कि मेहर ऐसी धन राशि है जो स्त्री को विवाह के समय प्रीतिफल स्वरूप देय होती है। 

कुल मिलाकर अगर बात करे तो मुस्लिम विवाह एक संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) है जिसमे पुरुष स्त्री को मेहर (दहेज) देकर शारिरिक संबंध बनाने के लिए खरीदता है लेकिन अगर पुरूष स्त्री को मेहर नहीं देता है तो वह स्त्री से शारीरिक संबंध नहीं बना सकता है। अगर वह बिना मेहर के संबंध स्थापित कर लेता है तो यह विवाह शून्य का आधार हो सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

विनम्र अनुरोध🙏कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में Legal पर क्लिक करें।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!