भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 38 की उपधारा (ग) कहती है कि बलात्कार करने के उद्देश्य से अगर कोई व्यक्ति किसी महिला पर हमला कर देता है, तब प्रतिरक्षा करने वाली महिला बलात्कार करने वाले व्यक्ति पर पूरी शक्ति से प्राण घातक हमला कर सकती है। इस हमले में यदि बलात्कार का हमला करने वाले व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है तो, इस प्रकार की हत्या का अपराध न्यायालय में क्षमा योग्य होगा। पढ़िए इससे संबंधित सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण जजमेंट:-
1. मोहम्मद शमी बनाम सम्राट राज्य :-
मामले में यह विनिश्चय किया गया कि यदि मृतक ने आरोपी की पत्नी के साथ बलात्कार के लिए उस पर हमला किया हो और आरोपी ने अपनी पत्नी के शरीर की रक्षा करने के लिए हमलावर की मृत्यु कर दी तो उसे IPC की धारा 100 (अब BNS की धारा 38) के अंतर्गत प्राइवेट प्रतिरक्षा का बचाव उपलब्ध होगा।
उपरोक्त मामले के संबंध में एक और महत्वपूर्ण जजमेंट जानिए
2. प्रकाश चंद्र बनाम राजस्थान राज्य में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी व्यक्ति की पत्नी के साथ अगर कोई व्यक्ति ज़बर्दस्ती यौन संबंध स्थापित कर रहा है तब उसके पति को निजी प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त होगा अर्थात वह आक्रमण करने वाले की मृत्यु तक कर सकता है।
उपरोक्त निर्णय द्वारा स्पष्ट होता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ जबरदस्ती बलात्कार करने की कोशिश करता तब उस महिला को अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है एवं वह हमलावर की मृत्यु भी कर सकती है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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