हर व्यक्ति को अपनी भूमि को विक्रय करने का अधिकार होता है वह अपनी भूमि किसी को भी नामांतरण करवा सकता है। मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता,1959 की धारा 165 में कहा गया है की कोई भी भूस्वामी अपनी भूमि चाहे वह पट्टे के अधीन हो उसे अन्तरण करने का अधिकार रखता है। लेकिन कुछ ऐसी शर्ते भी है जिसको उल्लंघन करके किसी कृषि भूमि का नामांतरण नहीं किया जा सकता है जानिए।
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता,1959 की धारा 165 की उपधारा 02 की परिभाषा
- बंधक भूमि: अगर किसी भूमि पर बंधक है, तो उसे तब तक नामांतरण नहीं किया जा सकता है जब तक कि कम से कम पाँच एकड़ सिंचाई भूमि या दस एकड़ सुखी भूमि किसी भार से मुक्त उसके पास न बचे।
- भोगबन्धक: अगर किसी भूमि पर भोगबन्धक है, तो उसे छः वर्ष की कालावधि के लिए विधिमान्य नहीं होगा।
- बंधक भूमि का कब्जा: बंधक भूमि का कोई भी कब्जा बन्धकदार बन्धन की कालावधि के छः वर्ष आवासन के जाने के पश्चात भूमि का कब्जा नहीं सौपेगा तहसीलदार द्वारा बंधककर्ता को उस भूमि का कब्जा दिलाया जाएगा।
सामान्य शब्दों में कहे तो किसी भी किसान को बैक से कृषि भूमि को गिरवी रखकर कृषि ऋण लेने का अधिकार है और उसके बदले में वह बैक में भूमि को बंधक के रूप में रख देता है। बंधक भूमि तब तक किसी व्यक्ति को नामांतरण नहीं की जा सकती है जब तक वह बंधक मुक्त नहीं हो जाती है। उपर्युक्त धारा साधारण शब्दों में यही कहती है कि कोई भूमिस्वामी बंधक संपत्ति का अन्तरण नहीं कर सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
विनम्र अनुरोध🙏कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में Legal पर क्लिक करें।