मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार द्वारा दिनांक 1 अप्रैल 2024 को आउटसोर्स कर्मचारी और कारखानों के श्रमिकों की वेतन वृद्धि के आदेश जारी किए गए थे परंतु पीथमपुर औद्योगिक संगठन ने हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की इंदौर बेंच में पिटीशन फाइल करके सैलेरी इंक्रीमेंट पर स्टे आर्डर जारी करवा दिया था। उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश को निरस्त कर दिया है। इसी के साथ वेतन वृद्धि का रास्ता साफ हो गया है।
कमलनाथ का वादा मोहन यादव ने पूरा किया था
कमलनाथ सरकार में गठित वेतन पुनरीक्षण समिति ने साल 2019 में श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में 25% की वृद्धि की सिफारिश की थी। इसे अप्रैल 2019 से लागू किया जाना था, परंतु ऐसा नहीं किया गया। जब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने दिनांक 1 अप्रैल 2024 से आउटसोर्स कर्मचारी और औद्योगिक श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में 25% वेतन वृद्धि के आदेश जारी कर दिए। श्रमिकों को मई 2024 में बढ़ा हुआ वेतन भी दिया गया। तभी पीथमपुर औद्योगिक संगठन, इंक्रीमेंट ऑर्डर के खिलाफ हाईकोर्ट चला गया, जिस पर कोर्ट ने स्टे दे दिया। इसके कारण पिछले 8 महीने से कर्मचारियों को पुराने न्यूनतम वेतन पर काम करना पड़ रहा था।
कर्मचारियों को बैक डेट में इंक्रीमेंट और 8 माह का एरियर भी चाहिए: सीटू
मामले में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) इंदौर हाईकोर्ट में इंटरवीन बनी। सीटू के अधिवक्ता बाबूलाल नागर ने हाईकोर्ट में मजदूरों का पक्ष रखा। बता दें कि यह वेतनवृद्धि साल 2014 के बाद की गई थी। वहीं 2024 में फिर से वेतनवृद्धि की जानी है। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी, प्रदेश महासचिव प्रमोद प्रधान ने मध्य प्रदेश सरकार और मध्य प्रदेश के श्रम आयुक्त से मांग करते हुए कहा कि यह स्थगन 1 अप्रैल 2024 से हो रहे भुगतान के खिलाफ था, जो खारिज हो गया है। अब 1 अप्रैल 2024 से ही श्रमिकों को वेतनवृद्धि का लाभ दिलाएं और 8 माह का एरियर भी दिलाएं।
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