राजनीति में संकेत, संभावना और सवालों का बड़ा महत्व है। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री विजयपुर विधानसभा सीट से हुए उपचुनाव में हार गए। इस पराजय के लिए केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को जिम्मेदार बताया जा रहा है, (संबंधित समाचार यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं)। इस बीच एक फोटो भी वायरल हुआ है। यह फोटो एक नया सवाल पैदा करता है। क्या श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विजयपुर की सीट श्री राहुल गांधी को गिफ्ट की है।
विजयपुर की हार के लिए सिंधिया कैसे जिम्मेदार
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पर सिंधिया परिवार का सदियों पुराना प्रभाव रहा है। श्री रामनिवास रावत जब सिंधिया समर्थक हुआ करते थे और सिंधिया परिवार के लिए काम किया करते थे तब स्वर्गीय श्री माधवराव सिंधिया के द्वारा उन्हें पहली बार विजयपुर विधानसभा से प्रत्याशी घोषित किया गया था। 1990 से लेकर सन 2019 तक श्री रामनिवास रावत, सिंधिया परिवार के साथ रहे परंतु श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने से पहले ही रावत और सिंधिया के संबंध टूट गए थे। श्री रामनिवास रावत को पहले सिंधिया का वफादार और अब सिंधिया का गद्दार कहा जाता है।
सिंधिया ने रावत का पोलिटिकल कैरियर खत्म कर दिया
भारतीय जनता पार्टी ने जब मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री रामनिवास रावत को विजयपुर से अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया तो सबको उम्मीद थी कि पार्टी की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए श्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके लिए औपचारिक प्रचार करने जरूर आएंगे परंतु ऐसा नहीं हुआ। खबर आ रही है कि, विजयपुर में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने भारतीय जनता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को हर संभव नुकसान पहुंचाया। कहा जा रहा है कि, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने श्री रामनिवास रावत से बदला लिया है। स्वर्गीय श्री माधवराव सिंधिया ने रामनिवास रावत का पोलिटिकल कैरियर बनाया था। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रामनिवास रावत का पोलिटिकल कैरियर खत्म कर दिया है।
राहुल को गिफ्ट देने से क्या मतलब है
एक फोटो वायरल हो रहा है। संसद में सदन के भीतर श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, श्री राहुल गांधी और श्री मल्लिकार्जुन खड़गे खड़े हुए हैं। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे पर आत्मग्लानि दिखाई दे रही है। श्री राहुल गांधी उन्हें ढांढस बंधाते हुए मोटिवेट करते हुए प्रतीत हो रहे हैं। राहुल ने ज्योतिरादित्य का हाथ जोर से थाम रखा है। श्री मल्लिकार्जुन खड़गे, श्री राहुल गांधी को सपोर्ट करते हुए दिखाई दे रहे हैं। कुछ लोग इस चित्र का सामान्य सा अर्थ निकाल रहे हैं कि, श्री राहुल गांधी ने श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस में वापस बुलाया है लेकिन इसका एक दूसरा अर्थ यह भी है कि बदले की आग में जल रहे श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक तीर से दो निशाने साधे। रामनिवास के बहाने राहुल गांधी से पुरानी दोस्ती के धागे मजबूत कर लिए। संसद में राहुल गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया को समझा रहे हैं कि जो कुछ भी किया वह गलत नहीं था। यही तुम्हारा धर्म है, और यदि सबको पता चल भी गया तो, मैं हूं ना।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ऐसा क्यों करेंगे, इससे उन्हें क्या फायदा होगा
सभी जानते हैं कि श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी से प्रताड़ित होकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। आज कांग्रेस में कमलनाथ का किस्सा खत्म हो गया है और दिग्विजय सिंह भी कमजोर पड़ते जा रहे हैं। कांग्रेस में नया युग प्रारंभ हो गया है। जीतू पटवारी, उमंग सिंघार, सज्जन वर्मा, जयवर्धन सिंह और उनके समकक्ष किसी भी नेता में इतनी ताकत नहीं है कि वह अपनी दम पर 2028 का चुनाव जीत सके। अरुण यादव और राहुल सिंह को पहले ही टेस्ट किया जा चुका है। ऐसे में कांग्रेस को सिंधिया की जरूरत है और मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या, उनके पिता कैलाशवासी श्री माधवराव सिंधिया का भी सपना था। यह भी स्पष्ट कि भारतीय जनता पार्टी में मुख्यमंत्री पद के लिए सिंधिया की संभावना बहुत कम है और प्रत्येक सिंधिया समर्थन चाहता है कि "अबकी बार सिंधिया सरकार"। ✒ उपदेश अवस्थी।
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