टू व्हीलर पर हेलमेट और फोर व्हीलर में सीट बेल्ट के बाद हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश ने स्कूल बस और स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों को लेकर जाने वाले ऑटो रिक्शा को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है। आरटीओ एवं डीएसपी-सीएसपी यातायात को गाइडलाइन का पालन करवाने के लिए नोडल ऑफिसर घोषित किया है।
MP High Court's guidelines for school bus and auto rickshaw
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डिविजन बेंच ने 2018 में DPC (दिल्ली पब्लिक स्कूल) BUS ACCIDENT के बाद दायर जनहित याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान नियम ट्रांसपोर्ट व्हीकल के है। सरकार मध्य प्रदेश मोटर व्हीकल एक्ट-1994 के तहत स्कूल बसों के लिए विशेष प्रावधान करें। स्कूल बस रजिस्ट्रेशन, संचालन व प्रबंधन के लिए नियमों का प्रावधान किया जाए।इनके पालन की जिम्मेदारी भी तय करें। छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसा किया है।
MP school bus and auto rickshaw High Court guidelines
- 12 साल पुरानी स्कूल बसें नहीं चलाई जा सकेंगी।
- स्कूल बसों में बसों में स्पीड गर्वनर, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य रूप से लगवाएं।
- पेरेंट्स को मोबाइल ऐप के माध्यम से स्कूल बस को ट्रैक करने की सुविधा दी जाए।
- बस में एक शिक्षक काे रखें, जो आखिरी स्टॉप तक बस में ही रहे।
- विद्यार्थियों के ऑटो रिक्शा में ड्राइवर सहित चार व्यक्ति ही बैठ सकेंगे।
- सरकारी स्कूल में प्राचार्य, निजी स्कूल में मालिक, प्रबंधन स्कूल के किसी सीनियर शिक्षक या कर्मचारी को व्हीकल इंचार्ज नियुक्त करेंगे।
- स्कूल बस का इंचार्ज ऑफिसर नियमों के पालन के लिए जिम्मेदार होगा।
- हादसा या गाइडलाइन का उल्लंघन होने पर प्रबंधन के साथ स्कूल बस का इंचार्ज ऑफिसर भी जिम्मेदार होंगे।
- बस में महिला या पुरुष शिक्षक को रखें, जो बस के आखिर स्टॉप तक साथ रह सकें।
- ड्राइवर व कंडक्टर का मेडिकल चेकअप कराएं, आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखें।
- स्कूल बस की खिड़की पर ग्रिल हो, फर्स्ट एड किट व अग्निशमन यंत्र जरूरी है।
- स्कूल बस का रंग पीला रहेगा। बस पर स्कूल बस या ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा जाए।
- अनुबंधित बसों के पास मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार फिटनेस प्रमाण पत्र होना चाहिए।
- बसों में बीमा, परमिट, पीयूसी व टैक्स रसीद रखी जाए।
- स्कूल का नाम, पता, टेलिफोन व व्हीकल इंचार्ज का मोबाइल नंबर की पट्टी लगाएं।
- खिड़की में ग्रिल लगी होनी चाहिए। फिल्म व रंगीन ग्लास का उपयोग नहीं करें।
- बसों में फर्स्ट एड किट और अग्निशमन यंत्र अनिवार्य रूप से लगे हों।
- बस सहायक को इमर्जेंसी उपयोग व बच्चों को बैठाने-उतारने का प्रशिक्षण दें।
- ड्राइवर के पास स्थाई लाइसेंस व 5 साल का अनुभव हो।
- ऐसे ड्राइवर नियुक्त न करें जिनका ओवर स्पीडिंग, नशा करके चलाने जैसे नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना या चालान किया गया हो।
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