MPPSC chairman sir, थोड़ा ध्यान इस तरफ भी दीजिए - KHULA KHAT

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग, इंदौर के बाहर, एमपीपीएससी अभ्यर्थियों द्वारा अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। इसके बाद नौबत आमरण अनशन तक आ गई है। पुलिस को बुलाना पड़ा परंतु इस तरफ ना तो एमपीपीएससी अध्यक्ष का ध्यान है और ना ही माननीय मुख्यमंत्री जी का, क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी डॉक्टर मोहन यादव तो इंदौर की सड़कों पर हेलीकॉप्टर की लैंडिंग करके सड़क चेक करने में लगे हुए। जबकि इंदौर में ही एमपीपीएससी प्रोटेस्ट चल रहा है। काश! माननीय मुख्यमंत्री जी एमपीपीएससी धरना स्थल पर, एमपीपीएससी अभ्यर्थियों की समस्याओं को सुनने के लिए अपना हेलीकॉप्टर लैंड करवाते! परंतु चेयरमैन सर, MPPSC तो आपका ही डिपार्टमेंट है! कृपया थोड़ा ध्यान एमपीपीएससी अभ्यर्थियों की मांगों की तरफ भी दीजिए क्योंकि जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती चाहे, एमपीपीएससी हो, चाहे यूपीएससी हो, चाहे कोई अन्य परीक्षा।

MPPSC ASPIRANT'S REAL LIFE STRUGGLE

"मध्य प्रदेश में तो अब परीक्षाओं के नोटिफिकेशन, रिजल्ट सब कुछ मध्य में" अटकने का ट्रेंड सा बन गया है और यदि ऐसा ही चला रहा तो शायद मध्य प्रदेश के अभ्यर्थी परीक्षाओं के फॉर्म ही ना भरें, क्योंकि जिस तरह से उन्हें परीक्षा के नोटिफिकेशन से लेकर, परीक्षा होगी या नहीं, रिजल्ट आएगा या नहीं, कहीं रिजल्ट हाई कोर्ट तो नहीं चला जाएगा, जैसी समस्याओं से निपटने में कम से कम 5-10 साल का इंतजार करना पड़ता है और इसके बाद भी निराशा ही हाथ लगती है। तो ऐसे में डिप्रेशन में आकर कई सारे छात्र-छात्राएं सुसाइड तक कर लेते हैं, क्योंकि स्टूडेंट अपने जीवन का बहुमूल्य समय परीक्षाओं की तैयारी में लगा चुके होते हैं। तो वह समय तो ना एमपीपीएससी वापस दे सकती है ना कोई अन्य आयोग। ओवरऐज होने के बाद कैंडिडेट्स के पास बहुत ज्यादा ऑप्शंस भी नहीं होते हैं। MPPSC की तैयारी के बाद, कैंडिडेट के पास इतना ज्यादा बैंक बैलेंस भी नहीं होता कि वह अपना खुद का कोई स्टार्टअप या बिजनेस स्टार्ट कर सके और जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती चाहे, एमपीपीएससी हो, चाहे यूपीएससी हो, चाहे कोई अन्य परीक्षा।

MPPSC PREPARATION IS TORTURE FOR OUR SOCIETY 

कहां अफसर बनने की तैयारी कर रहे होते हैं और आखिर में नौकर भी नहीं बन पाते! MPPSC ASPIRANT की तैयारी खत्म होने के साथ सिर्फ, MPPSC ASPIRANT का सपना नहीं टूटता, बल्कि उसके पूरे परिवार, पूरे गांव का सपना टूट जाता है, जो शहर में महंगी फीस देकर एमपीपीएससी की तैयारी करने के लिए आता है। जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती चाहे, एमपीपीएससी हो, चाहे यूपीएससी हो, चाहे कोई अन्य परीक्षा।

तो चेयरमैन सर कृपया इस तरफ विशेष ध्यान दीजिए, क्या परीक्षा का नोटिफिकेशन रोकना, परीक्षा रोकना या रिजल्ट रोकना, अभ्यर्थियों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना नहीं है!
निवेदक -समस्त एमपीपीएससी अभ्यर्थी!

अस्वीकरण: खुला-खत एक ओपन प्लेटफार्म है। यहां मध्य प्रदेश के सभी जागरूक नागरिक सरकारी नीतियों की समीक्षा करते हैं। सुझाव देते हैं एवं समस्याओं की जानकारी देते हैं। पत्र लेखक के विचार उसके निजी होते हैं। यदि आपके पास भी है कुछ ऐसा जो मध्य प्रदेश के हित में हो, तो कृपया लिख भेजिए हमारा ई-पता है:- editorbhopalsamachar@gmail.com

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