मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव यानी मध्य प्रदेश की तमाम प्रशासनिक व्यवस्थाओं के मुखिया श्री अनुराग जैन IAS ने अपने उद्बोधन के दौरान एक ऐसी बात बताइए जो भारत के करोड़ों युवाओं के लिए बड़े काम की हो सकती है। उन्होंने बताया कि लाइफ में एक वक्त ऐसा भी आया था जब वह डिप्रेशन में चले गए थे। उन्होंने बताया कि किस प्रकार को डिप्रेशन से बाहर आए और उनकी सफलता के पीछे मूल कारण क्या है।
मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन को IAS बनने की प्रेरणा कहां से मिली
मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव अनुराग जैन आज मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने उद्बोधन के दौरान बताया कि, “एक दौर ऐसा आया था जब जिन्दगी से विरक्ति हो गई थी। पैसे की कोई कमी नहीं थी, लेकिन लाइफ में कोई चैलेंज नहीं था। फिर विवेकानंद की विचारों को पढ़कर, गीता और जैन धर्म के कर्म के सिद्धांतों को पढ़कर मैंने फैसला किया कि मैं सिविल सर्विस में आऊंगा।
समाचार में विरक्ति को डिप्रेशन क्यों लिखा?
मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन ने अपने उद्बोधन में "विरक्ति" शब्द का उपयोग किया है जबकि समाचार के शीर्षक में "डिप्रेशन" शब्द का उपयोग किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि, वर्तमान समय में भारत के लाखों युवा विरक्ति नहीं बल्कि डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। विरक्ति और डिप्रेशन, दोनों परिस्थितियों में मानसिक दशा एक जैसी होती है। विरक्ति में व्यक्ति का जीवन से मोह खत्म हो जाता है और डिप्रेशन में व्यक्ति को जीवन की दिशा दिखाई देना बंद हो जाती है। दोनों ही परिस्थितियों में व्यक्ति अपने परिवार और समाज से दूर हो जाता है। दोनों ही परिस्थितियों में व्यक्ति को उसके जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य दिखाई नहीं देता।
स्वामी विवेकानंद के विचार, श्रीमद् भागवत गीता और जैन धर्म के कर्म के सिद्धांत, किसी भी प्रकार की मानसिक स्थिति से व्यक्ति को बाहर निकालने, जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने और उसे लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं।
मप्र के मुख्य सचिव अनुराग जैन को सुनिये विवेकानंद पर क्या कहा “एक दौर ऐसा आया था जब जिन्दगी से विरक्ति हो गई थी। पैसे की कोई कमी नहीं थी। फिर विवेकानंद और गीता को पढ़ा उसके बाद फिर सिविल सर्विस में आया” @VistaarNews pic.twitter.com/nb5EdoTwUy
— Brajesh Rajput (@drbrajeshrajput) January 12, 2025