GWALIOR में शक्ति का संतुलन - मुख्यमंत्री ने सिंधिया के सामने रामनिवास का वजन बढ़ाया

मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ग्वालियर में आज शक्ति का संतुलन किया। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से गर्म जोशी के साथ मुलाकात के बाद आज मुख्यमंत्री डॉ मोहन ने रामनिवास रावत का वजन बढ़ा दिया। फलाहार करने के लिए उनके घर पहुंचे। 

मुख्यमंत्री ने ग्वालियर में सिंधिया विरोधियों को फलाहार बांटा

आज षटतिला एकादशी है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है और उपवास एवं दान के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ग्वालियर प्रवास पर थे। उनका एकादशी का व्रत था। फलहार करने के लिए रामनिवास रावत के घर गए। यहां उन्होंने मेहमानों को अपने हाथों से फलाहार का वितरण किया। इस अवसर पर कुछ और नेता भी शामिल थे। ज्यादातर वही चेहरे दिखाई दे रहे थे, जिनकी पहचान भारतीय जनता पार्टी में, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोधी के रूप में होती है। हालांकि इस कार्यक्रम में जयभान सिंह पवैया भी थे। पवैया, स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के कट्टर विरोधी हुआ करते थे परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके मधुर संबंध है। 

रामनिवास रावत में प्राण मंत्र फूंका

मध्य प्रदेश सरकार में बतौर मंत्री शपथ लेने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए रामनिवास रावत, विजयपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव हार गए थे। इस हार के लिए केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को जिम्मेदार माना गया, लेकिन यह भी माना गया कि भारतीय जनता पार्टी में रामनिवास रावत का अध्याय समाप्त होता है। कांग्रेस पार्टी में उनके लिए कोई स्थान नहीं है और उम्र भी हो गई है, लेकिन आज मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उनके घर पहुंचकर राजनीति की शैया पर मरणासन्न पड़े, रामनिवास रावत में प्राण मंत्र फूंक दिया है। आज के बाद सरकारी दफ्तरों में रामनिवास रावत के लिए महत्व बढ़ जाएगा। 

ग्वालियर में शक्ति का संतुलन अनिवार्य

पुराना अनुभव भी कहता है कि, ग्वालियर में शक्ति का संतुलन अनिवार्य है। इसमें कोई प्रश्न नहीं की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत कुछ किया है परंतु यह बात भी उतनी ही सत्य है कि, राजमाता सिंधिया के कारण ग्वालियर चंबल संभाग में भारतीय जनता पार्टी संगठन का कोई अस्तित्व नहीं था। पार्टी की तरफ से घोषित प्रत्याशी के खिलाफ राजमाता समर्थित प्रत्याशी उतारे जाते थे और बाद में पार्टी द्वारा समर्थित प्रत्याशी को पार्टी से निष्कासित कर दिया जाता था। पूरी पार्टी महल से शुरू होती थी और महल में खत्म हो जाती थी। 

भारतीय जनता पार्टी के लोग राजमाता के चरणों में प्रणाम करते हैं परंतु यह भी नहीं भूल पाते हैं कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के मंच से अधिकृत प्रत्याशी अटल बिहारी वाजपेई के खिलाफ अपने बेटे और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी माधवराव सिंधिया को वोट देने की अपील की थी। इसी अपील के कारण अटल बिहारी वाजपेई जैसे लोकप्रिय नेता ग्वालियर से चुनाव हार गए और फिर कभी वापस नहीं आए।

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