Kalashtami Vrat Katha: जीवन में सफलता के लिए कालाष्टमी व्रत कथा, पूजा विधि एवं मुहूर्त

भारत की धार्मिक परंपराओं में कालाष्टमी का बड़ा ही महत्व है। मान्यता है कि, इस दिन व्रत करने से, दान करने से, विधिपूर्वक पूजा करने से और कथा करने से नेगेटिव एनर्जी समाप्त हो जाती है। यदि काल भैरव को समर्पित है। काल भैरव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। 

कालाष्टमी व्रत की तारीख और मुहूर्त 

माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है। सन 2025 में यह तिथि दिनांक 21 जनवरी को दोपहर 12:40 बजे प्रारंभ होगी और दिनांक 22 जनवरी दोपहर 3:18 बजे समाप्त होगी। काल भैरव की पूजा शाम के समय की जाती है इसलिए काल भैरव के भक्त दिनांक 21 जनवरी की शाम को पूजा करेंगे। वैष्णव संप्रदाय में उदय तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान विष्णु, श्री राम और कृष्णा को अपना आराध्य मानने वाले दिनांक 22 जनवरी को भी व्रत और पूजा कर सकते हैं। 

शिवपुराण के अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कालभैरव का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि काल भैरव के व्रत का पालन करने से भक्तों की समस्त इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और हर प्रकार की बाधा समाप्त हो जाती है। ज्योतिषीय दृष्टि से, काल भैरव की पूजा करने से नवग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

कालाष्टमी व्रत कथा

भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच यह प्रश्न उठा कि उनमें से सबसे श्रेष्ठ कौन है। इस विवाद को सुलझाने के लिए सभी देवी-देवताओं की सभा का आयोजन हुआ। गहन विचार-विमर्श के बाद भगवान शिव और विष्णु ने सभा के निर्णय को स्वीकार कर लिया, लेकिन ब्रह्मा जी असंतुष्ट रहे। उन्होंने भगवान शिव का अपमान करने का प्रयास किया, जिससे शिव अत्यधिक क्रोधित हो गए।

ऐसे में भगवान शिव ने अपने रौद्र रूप में काल भैरव को प्रकट किया। काल भैरव, काले कुत्ते पर सवार होकर हाथ में दंड लिए प्रकट हुए थे। उन्होंने क्रोध में ब्रह्मा जी पर प्रहार कर उनके एक सिर को अलग कर दिया। इस घटना के बाद ब्रह्मा जी ने क्षमा याचना की, जिससे शिव का क्रोध शांत हुआ, और उन्होंने ब्रह्मा जी पर काल भैरव की वार का प्रभाव समाप्त कर दिया। 

भगवान शिव ने इस घटना के बाद से काल भैरव को इस बात के लिए नियुक्त कर दिया कि, पृथ्वी पर जब कभी भी किसी भी भक्त की सफलता से ईर्ष्या करके कोई भी व्यक्ति, किसी भी प्रकार से, यदि किसी भक्तों को हानि पहुंचाने की कोशिश करता है तो काल भैरव उसकी रक्षा करेंगे। तब से लेकर और कलयुग के समाप्त हो जाने तक काल भैरव पृथ्वी पर सभी प्रकार के भक्तों की रक्षा करते हैं। उनकी सफलता कुछ सुरक्षित करते हैं और उनसे ईर्ष्या करने वालों को दंडित करते हैं। 

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