बहुत से हिन्दू धर्म के व्यक्ति सोचते हैं कि वह अन्य धर्म को अपनाकर किसी महिला से दूसरा विवाह कर लें, पहली पत्नी को तलाक दिए बिना, तो क्या ऐसा करना अपराध नहीं होगा जानते है। इसका जवाब:-
हिन्दू द्वारा धर्म परिवर्तन करना:-
यदि कोई हिन्दू व्यक्ति अपने धर्म का त्याग कर किसी अन्य धर्म को स्वीकार कर लेता है, तो वह केवल इस प्रकार धर्म परिवर्तन मात्र से अपने वैवाहिक बंधनों एवं दायित्वों से मुक्त नहीं हो जाता है, क्योंकि उसका वैवाहिक दायित्व विखंडनीय नहीं है।
यदि कोई हिन्दू महिला जिसका कि वैध विवाह के अंतर्गत हिन्दू पति जीवित है। वह भी धर्म त्याग कर किसी मुसलमान या ईसाई व्यक्ति से उसका धर्म स्वीकार कर विवाह कर लेती है तो वह भी भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 82 के अंतर्गत पुनः विवाह के अपराध के लिए दोषी होगी।
कलन्जियम अम्माल बनाम शंभुग़म वाद:- इस मामले मे आरोपी एक विवाहित हिन्दू व्यक्ति था। जिसने ईसाई धर्म स्वीकार करने के बाद उसे त्याग दिया और पुनः हिन्दू धर्म स्वीकार करके हिन्दू रीति के अनुसार द्वितीय विवाह किया। न्यायालय ने आरोपी को IPC की धारा 494(अब BNS की धारा 82 होगी ) के अंतर्गत पुनः विवाह के अपराध के लिए दोषी माना।
अवैध तरीके से विवाह के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान जानिए
यह अपराध असंज्ञेय एवं अज़मानतीय होते हैं अर्थात इस अपराध की शिकायत पुलिस थाने में नहीं की जाती है इसके लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद लगाया जाता है एवं आरोपी व्यक्ति को जमानत भी कोर्ट द्वारा दी जाएगी, इस अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। यह अपराध समझौते योग्य नहीं होते हैं अर्थात इस अपराध में राजीनामा नहीं किया जा सकता है। सजा :- इस अपराध के लिए अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।