दुनिया भर के वैज्ञानिक इतनी अधिक चिंता में है कि उन्होंने विश्व के सभी देशों की सरकारों से अपील की है कि, अभी से मिशन मोड में तैयारी शुरू कर दें नहीं तो पृथ्वी पर जीवन की अस्तित्व को संकट की स्थिति बन जाएगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि, निकट भविष्य में एक भयंकर ज्वालामुखी विस्फोट होने वाला है। यह पूरी पृथ्वी को प्रभावित करेगा। पृथ्वी की सतह पर फिलहाल 1600 सक्रिय ज्वालामुखी हैं। वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि, आने वाला सबसे भयंकर विस्फोट किस ज्वालामुखी में होगा।
एक और सुपर विस्फोट होने वाला है
यूनिवर्सिटी ऑफ जिनेवा (University of Geneva) के जलवायु विशेषज्ञ मार्कस स्टॉफेल (Markus Stoffel) का मानना है कि 2025 से लेकर 2100 तक, किसी भी समय एक और सुपर विस्फोट (Super Eruption) होने की संभावना है। इस भयानक ज्वालामुखी विस्फोट की संभावना 1/6 है। यही कारण है कि, दुनिया भर के वैज्ञानिक चिंता में है और सुपर विस्फोट के ठीक समय का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दिए कि पृथ्वी पूर्ण विनाश (Total Destruction) की तरफ आगे बढ़ रही है।
पृथ्वी से Living Creature खत्म हो जाएगा
Daily Mail में प्रकाशित हुए ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी (Bristol University) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक कंप्यूटर सिमुलेशन के अनुसार, लगभग 25 करोड़ (250 Million) वर्षों में पृथ्वी पर एक ऐसी आपदा आ सकती है, जो सबकुछ नष्ट कर देगी। जब पृथ्वी पर या समुद्र में कोई भी जीवित प्राणी (Living Creature) नहीं बचेगा। शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के सबसे ताकतवर पॉलीटिकल लीडर्स से अपील की है कि वह लगभग निश्चित हो चुके सुपर विस्फोट की स्थिति में होने वाले नुकसान को कम से कम करने के लिए एक योजना बनाएं और उस पर संयुक्त रूप से कम करें। पृथ्वी और समुद्र में सभी प्रकार के जीवन को बचाने का अभियान शुरू करने का समय आ गया है।
1815 का माउंट तंबोरा ज्वालामुखी विस्फोट और उसके प्रभाव
Mount Tambora, इंडोनेशिया में स्थित है। सन 1815 में यहां ज्वालामुखी विस्फोट शुरू हुआ। यह विस्फोट कई दिनों तक चलता रहा। इसके कारण Sumbawa, Lombok और Bali द्वीपों पर लगभग 1,20,000 लोगों की मृत्यु हो गई और 10 लाख से ज्यादा लोग घायल हुए परंतु ज्वालामुखी विस्फोट के आसार का यह बहुत छोटा दृश्य है। इंडोनेशिया में हुए ज्वालामुखी विस्फोट का Worldwide Consequences भी दिखाई दिया। विस्फोट के कारण वायुमंडल में बने Aerosols उन्हें सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में बाधा उत्पन्न कर दी। Aerosols के कारण सूर्य की किरणें परावर्तित होकर वापस लौट रही थी।
इस विस्फोट के अगले 3 सालों तक Volcanic Winter का प्रकोप चला रहा। 1816 में पृथ्वी का औसत तापमान 3 डिग्री सेल्सियस गिर गया। इसके कारण कई इलाकों में गर्मी के मौसम में बर्फबारी हुई। कई इलाकों में बिना मौसम के भारी बारिश की स्थिति बनी रही। पृथ्वी के कुछ इलाके ऐसे थे जहां पर सूर्य का प्रकाश तक कम हो गया था। इसके कारण फसल उत्पादन नहीं हुआ और अकाल पड़ गया। उत्तरी गोलार्ध जीवन के लिए सबसे जटिल हो गया था।
वैज्ञानिकों की चिंता
वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाला ज्वालामुखी विस्फोट, 1815 में हुए विस्फोट से ज्यादा भयानक होगा या फिर शायद यह अब तक के इतिहास का सबसे सुपर ब्लास्ट होगा। सन 1991 में फिलिपींस के Mount Pinatubo ज्वालामुखी विस्फोट को वैज्ञानिकों ने गंभीर स्थिति नहीं माना था परंतु बाद में रिकॉर्ड किया गया कि इस ज्वालामुखी विस्फोट के कारण पृथ्वी का औसत तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस कम हो गया था। यही कारण है कि वैज्ञानिक आने वाले खतरे को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं।
वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी चिंता ज्वालामुखी विस्फोट के कारण निकलने वाली Sulfur Dioxide गैस है। Sulfur Dioxide Gas पृथ्वी के वायुमंडल की Troposphere और Stratosphere में पहुंचकर छोटे Aerosol Particles बनाती है, जो सूर्य के प्रकाश को अवशोषित और परावर्तित कर देते हैं। इसके कारण पृथ्वी के तापमान में गिरावट आने लगती है और पृथ्वी ठंडी हो जाती है। यह स्थिति कई वर्षों तक बनी रहती है।
कलयुग का अंत होने वाला है
कुछ भारतीय मान्यताओं के अनुसार "कलयुग" पृथ्वी का अंतिम युग है। इसके बाद पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो जाएगा। भारत में कल की गणना करने वाले कुछ धार्मिक विद्वानों का कहना है कि, कलयुग की अवधि 4,32,000 साल है। विष्णु पुराण के अनुसार, कलयुग 3102 ईसा पूर्व में प्रारंभ हुआ था। इस हिसाब से अब तक केवल 5126 वर्ष व्यतीत हुए हैं। 426000 साल बाकी है। जबकि कुछ भारतीय विद्वानों का मानना है कि, कलयुग मूल रूप से सामूहिक कर्मयुग है। कर्म के आधार पर कलयुग की अवधि को बढ़ाया जा सकता है और कर्म के कारण ही कलयुग की अवधि कम भी हो सकती है।
वैज्ञानिक बताते हैं कि जीवन प्रारंभ होने से पहले पृथ्वी एक ठोस बर्फ का गोला थी और वर्तमान में वैज्ञानिक जिस ज्वालामुखी विस्फोट और उसके असर की बात कर रहे हैं। उसके हिसाब से भी पृथ्वी एक ठोस बर्फ की गोले में बदल जाएगी।