मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी संक्रमण का शिकार हो चुकी है। अनुशासन की लक्ष्मण रेखा टूटने लगी है। कार्यकर्ताओं को पार्टी के कार्यालय से मदद नहीं मिला इसलिए वह नेताओं के बंगलो के चक्कर लगाने लगे हैं। इसलिए पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास शुरू हो गए हैं। जिला अध्यक्षों की लिस्ट पेंडिंग हो जाने के बाद दिल्ली से भोपाल लौट संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी को अल्टीमेटम दिया है।
मध्य प्रदेश भाजपा में जिला अध्यक्षों की घोषणा से पहले स्वागत की गाइडलाइन
मध्य प्रदेश में जिलाध्यक्षों की घोषणा से ठीक पहले एमपी बीजेपी की एक बड़ी वर्चुअल मीटिंग हुई। इस बैठक में बीजेपी के सभी वर्तमान जिला अध्यक्ष, प्रदेश पदाधिकारी, विधायक सांसद वर्चुअल जुड़े। वर्चुअल मीटिंग में बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने कहा- जिला अध्यक्षों को लेकर पूरी प्रक्रिया हो चुकी है। जिला अध्यक्षों के निर्वाचन की घोषणा भी जल्द होगी लेकिन इस बात का सभी को ध्यान रखना चाहिए कि पार्टी का कार्यालय हमारी आस्था का मंदिर है। नए जिला अध्यक्ष की घोषणा के बाद उनका स्वागत कार्यालय में ही हो। किसी नेता के घर जाकर स्वागत सत्कार और आभार के प्रदर्शन के बजाय निवर्तमान अध्यक्ष का आभार व्यक्त करते हुए नए अध्यक्ष का सभी कार्यकर्ता स्वागत करें।
भाजपा में कार्यालय का महत्व खत्म क्यों हो गया
सन 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष की स्थिति कमजोर होने के कारण टोटल कंट्रोल तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथ में चला गया था। भाजपा का प्रदेश कार्यालय केवल एक बैक ऑफिस बनकर रह गया था जहां पर नेताओं के आदेशों का पालन किया जाता था। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के प्रदेश कार्यालय ने केवल एक बैक ऑफिस का काम किया। सभी प्रमुख फैसला नेताओं के बंगलो पर हुए। इसके बाद से भाजपा में नेताओं के बंगले महत्वपूर्ण होने लगे। शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरोत्तम मिश्रा, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और ऐसे दर्जनों बड़े नेताओं के नाम है जो अपने बंगलो पर मीटिंग करते हैं और पार्टी को अपने हिसाब से संचालित करते हैं। यहां तक की प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी महत्वपूर्ण विषय पर विचार विमर्श और फैसला अपने घर पर करते हैं। प्रदेश कार्यालय केवल फोटोशूट करवाने के लिए रह गया है।
MP BJP जिला अध्यक्ष की लिस्ट फाइनल नहीं कर पाए, सबसे बड़ा फैलियर
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी संगठन इतना अधिक कमजोर हो गया है कि, दिल्ली दौड़ के बावजूद जिला अध्यक्षों की लिस्ट फाइनल नहीं कर पाए। क्षेत्रीय नेता इतने ज्यादा पावरफुल हो गए हैं कि, पार्टी के सिस्टम को ही डिस्टर्ब कर रहे हैं। भाजपा नेताओं के बीच में अपने समर्थक को जिला अध्यक्ष का पद दिलाने के लिए लड़ाई का लेवल देखिए। संगठन के नेताओं के अलावा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और दिल्ली के प्रयासों के बावजूद लिस्ट फाइनल नहीं हो पाई।
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