जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश द्वारा विभिन्न जिला न्यायालय के लिए संचालित सिविल जज भर्ती प्रक्रिया 2022 को स्थगित कर दिया गया है। इससे पहले पूरी प्रक्रिया को एक याचिका के निर्णय के अध्याधीन घोषित किया गया था। यह विवाद भी आरक्षण से संबंधित है।
मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 - आरक्षण विभाग
मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय में सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 का हाईकोर्ट द्वारा जारी विज्ञापन दिनांक 17/11/23 तथा शुद्धि पत्र दिनांक 17/02/2024 की संवैधानिकता सहित ओबीसी, एस.सी. तथा एस.टी. को प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा में प्राप्तआंको में रियायत नहीं दिए जाने की वैधानिका को एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एन्ड शोसल जस्टिस नामक संस्था द्वारा जनहित याचिका क्रमांक WP /40833/2024 दायर की गईं। उक्त याचिका की सुनवाई दिनांक 24/01/25 को मुख्य न्यायमूर्ति श्री सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ द्वारा की गईं।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट को बताया, मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती परीक्षा नियम 1994 तथा उक्त नियमो में संशोधन दिनांक 23/06/23 में आरक्षित वर्ग को आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4-अ एवं संविधान के अनुच्छेद 335 के तहत प्राप्त अंको में छूट दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन उक्त नियमो तथा विज्ञापन में आरक्षित वर्ग को छूट नहीं दी गईं है जिससे उक्त नियम संविधान के अनुच्छेद 14, 16 तथा 335 के विरूध होने से असंवैधानिक है। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया, दिनांक 17/11/23 को जारी विज्ञापनो में कुल 195 पदों की भर्ती किए जाने का उल्लेख है जिसमे 61 नए पद तथा 134 बैकलाग पदों का उल्लेख है। उक्त बैकलाग में 17 पद अनारक्षित का भी बैकलॉग दर्शित किया गया है जो संविधानिक सम्मत नहीं है।
उक्त तर्कों को सुनने के बाद, खुले न्यायलय में न्यायालय ने कहा की आपके द्वारा उल्लिखित नियमो की विसंगती के सन्दर्भ में हाईकोर्ट की फुल कोर्ट मीटिंग में संशोधन हेतु प्रस्ताव मध्य प्रदेश शासन को प्रेषित किया जा चूका है। जहाँ तक विज्ञापन में सामान्य वर्ग के 17 पदों का वेकलाग का प्रश्न है, जो प्रथम दृष्टि में संविधान सम्मत नहीं पाते हुए हाईकोर्ट प्रशासन सहित मध्य प्रदेश शासन विधिविभाग को नोटिस जारी कर उक्त विज्ञापन दिनांक 17/11/23 तथा शुद्धि पत्र दिनांक 07/02/24 को एवं उक्त विज्ञापन के अनुशरण में की गईं समस्त भर्ती को स्टे कर दिया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, परमानन्द साहू, रामभजन लोधी, पुष्पेंद्र शाह ने पक्ष रखा। प्रकरण की आगामी सुनवाई चार सप्ताह बाद होंगी।