MP NEWS - सरकारी नौकरी में 87-13 फार्मूला के फाइनल डिसीजन की डेट में हाई कोर्ट में क्या हुआ पढ़िए

मध्य प्रदेश की सरकारी नौकरियों में 27% ओबीसी आरक्षण के कारण 87/13 फार्मूला लागू है। 6 दिसंबर को हाईकोर्ट ने कहा था कि 20 जनवरी को मामले की अंतिम सुनवाई की जाएगी। आज 20 जनवरी को मामले की अंतिम सुनवाई के लिए न्यायालय में सभी पक्ष उपस्थित हुए। पढ़िए मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में आज की कार्रवाई का विवरण:- 

हाई कोर्ट में सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट से यथा स्थिति आदेश जारी हो गया

जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की मुख्य न्यायमूर्ति की डिविजन बैंच के समक्ष आज दिनांक 20.01.2025 को ओबीसी आरक्षण के 87 प्रकरण अंतिम सुनवाई हेतु सूचीबद्ध थे। हाईकोर्ट ने दिनांक 06/12/24 को मध्य प्रदेश सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि दिनांक 20.01.2025 को मामलों की अंतिम सुनवाई की जाएगी तथा सरकार को निर्देशित किया था कि, सुनवाई पूर्व लिखित बहस दाखिल कर दें। लेकिन सरकार की ओर से प्रकरणों के निराकरण मे कोई रूचि नही ली गई। ना ही लिखित बहस पेश की, बल्कि  मध्य प्रदेश सरकार ने उक्त प्रकरणों की सुनवाई को रोकने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट मे एक साथ नई 69 ट्रांसफर याचिकाए दाखिल कर दी गई, जिनमे से 13 याचिकाओं में त्वरित सुनवाई कराकर आज दिनांक 20.01.2025 को कोर्ट नंबर 5 (सुप्रीम कोर्ट) मे जस्टिस अभय एस ओका तथा जस्टिस उज्जवल भूयन की खंडपीठ से, हाईकोर्ट मे सुनवाई पूर्व ही आज सुबह 11 बजे, यथा स्थिति का आदेश करा दिया गया। 

हैल्थ फार मिल्यन बनाम भारत संघ 2014

जब हाईकोर्ट मे 2:30 बजे सुनवाई के लिए केस काल हुए तो महाधिवक्ता कार्यालय की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने आज यथा स्थिति का अन्तरिम आदेश पारित कर दिया है, इसलिए इन प्रकरणों की सुनवाई स्थगित कर दी जाए। तब ओबीसी की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि जिन प्रकरणो मे सुप्रीमकोर्ट ने अन्तरिम आदेश पारित किया है, उन प्रकरणों में कानून की संवैधानिकता को चुनोती दी गई है, एवं ओबीसी आरक्षण के 27% कानून को न तो सुप्रीम कोर्ट ने स्टे किया है और न ही हाईकोर्ट ने। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हैल्थ फार मिल्यन बनाम भारत संघ (2014) 14 SCC 496 के पैरा क्रमांक 14, 15 एवं 18 मे विधि का सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि, विधायिका द्वारा बनाए गए किसी भी कानून की संवैधानिकता जाँचे बिना, उस कानून के प्रवर्तन पर न तो हाईकोर्ट और न ही सुप्रीम कोर्ट रोक लगा सकती है। 

हाई कोर्ट में मध्य प्रदेश के 87/13 फार्मूले का विरोध

वरिष्ठ अधिवक्ता श्री ठाकुर ने कोर्ट को यह भी बताया की आज दिनांक तक ओबीसी के 27% आरक्षण के कानून को न तो सुप्रीम कोर्ट ने और न ही हाईकोर्ट ने स्टे किया है, फिर भी सरकार इसे लागू नही कर रही है। जबकी ओबीसी का 27% आरक्षण इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजो की संवैधानिक पीठ द्वारा ओबीसी की 52.8% आबादी को दृष्टिगत रखते हुए अपहेल्ड किया जा चुका है। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ओबीसी के 27% के कानून का विरोध कर रही है। अधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी बताया की याचिका क्रमांक डबल्यूपी/18105/2021 मे पारित अन्तरिम आदेश दिनांक 04/8/2023 के संदर्भ मे महाधिवक्ता द्वारा गलत अभिमत देकर समस्त भर्तियों को 87% तथा 13% के फार्मूले को समान्य प्रशासन विभाग से परिपत्र जारी कराया गया है, जिसके कारण लाखो युवाओ का भविष्य आधार मे है। इसलिए इन प्रकरणों की सुनवाई किए जाने में सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश बाधक नहीं है। 

हाई कोर्ट ने अगली तारीख निर्धारित की

वरिष्ठ अधिवक्ता के उक्त  समस्त तर्को को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता को निर्देशित किया है, कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा परी अंतरिम आदेश की कॉपी प्रस्तुत की जाए तथा आगामी सुनवाई के लिए दिनांक 28 जनवरी 2025 नियत कर दी गई है। शासन की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल, ओबीसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, रामभजन सिंह लोधी, परमानद साहू, उदय कुमार साहू, पुश्पेन्द्र कुमार शाह ने पक्ष रखा।

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