मध्यप्रदेश में हैं जामवंत जी द्वारा स्थापित विश्व विख्यात तिल गणेश - NEWS TODAY

कमल याज्ञवल्क्य, बरेली (रायसेन)। मध्यप्रदेश अपनी ऐतिहासिक प्राचीन धरोहरों के लिए विश्व विख्यात है। प्रदेश के रायसेन जिले का भी अपना महत्व है। जिले भर में प्रागैतिहासिक कालीन सभ्यता इसकी विशिष्ट पहचान है। प्राचीन पुरातात्विक धरोहरों से समृद्ध रायसेन जिले की बरेली तहसील मुख्यालय से करीब पन्द्रह किलोमीटर की दूरी पर उदयगिरि गांव के पास पपलई वन पोस्ट के आगे विध्याचल पर्वत पर जनश्रुति और दावा के अनुसार जामवंत जी द्वारा स्थापित विघ्न विनाशक भगवान् श्रीगणेश जी का ऐतिहासिक अति प्राचीन सिद्ध धाम स्थल तिल गणेश जी के नाम से विख्यात है। 

महीने में दो दिन दर्शनों के लिए विशेष

शुक्रवार को यहाँ तिल गणेश चतुर्थी पर बड़ा मेला भरा है। इस मेला में आसपास के करीब पचास गांवों के भक्त शामिल होते हैं तथा भगवान श्री गणेश जी को प्रिय तिल के लड्डू का भोग लगा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष यहाँ भक्तों ने अपने भगवान् को इक्कीस हजार तिल के लड्डू का भोग लगाया था। यहाँ माह में दो बार आने वाले चतुर्थी तिथि को भी भक्त जामवंत तिल गणेश जी के दर्शनों को आते हैं। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यहाँ बड़ा मेला लगता है। इस दिन संकटा चौथ एवं तिल चौथ व्रत भी होता है। 

हर साल मूर्ति का आकार बढ़ता जा रहा है

नब्बे साल से अधिक उम्र के पंडित तुलसीराम पारासर, पंडित शिवनारायण शर्मा पटेल एवं युवा समाजसेवी पटेल शशिमोहन शर्मा आदि भक्तों  ने बताया कि विंध्याचल पर्वत पर निर्जन वन में श्री तिल गणेश जी को जामवंत जी द्वारा स्थापित माना जाता है। इसलिए इन्हें भक्त जामवंत गणेश के नाम से भी जानते हैं। पहले यहाँ तिल गणेश जी प्राचीन चबूतरे पर विराजमान थे, फिर क्षेत्र के भक्तों ने मढ़िया बनवा दी और अब मंदिर में भगवान् तिल गणेश विराजें हैं। बुजुर्गों और भक्तों ने यह भी बताया कि पहले प्राचीन तिल गणेश जी की मूर्ति छोटी थी समय साल बीतने पर सिद्ध तिल गणेश जी मूर्ति का आकार बढ़ रहा प्रतीत हो रहा है। 

ब्रम्ह मुहुर्त से ही लगा है भक्तों का मेला

शुक्रवार को ब्रम्ह मुहुर्त से ही यहाँ भगवान् श्रीगणेशजी के दर्शन पूजन के लिए भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो गया। बताया गया है कि देर शाम तक  हजारों भक्त  भगवान् श्रीगणेश जी के इस प्राचीन स्वयं सिद्ध स्थान पर माथा टेककर मंगल मूर्ति से मंगल की कामना करेंगे। जामवंत गणेश के रूप में विख्यात भगवान् तिल गणेश जी की कृपा से विंध्याचल पर्वत के घनघोर जंगल में भी शुक्रवार को मंगल जैसा माहौल है। उल्लेखनीय है कि भगवान् श्रीगणेश का यह स्थान घनघोर विध्याचल पर्वत पर स्थित है। यहाँ काफी प्राचीन ऐतिहासिक एक दीवार जिसे भारत की महान प्राचीन दीवार जो देवरी के पास गोरखपुर से शुरू होकर जामगढ़ भगदेई, तिल गणेश होते हुए बाड़ी के पास तक है, का कुछ हिस्सा यहाँ भी मिलता है के साथ काफी बड़े पत्थरों का एक प्राचीन चबूतरा भी है। भगवान् श्री सिद्ध गणेश जी का यह पावन धाम मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है।

जामवंत श्रीगणेश मंदिर तक कैसे पहुंचें

पुराणों और जनश्रुतियों तथा किवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि विंध्याचल पर्वत पर जामवंत जी द्वारा स्थापित श्री सिद्ध तिल गणेश जी विश्व भर विख्यात हैं। पूरे विश्व में भगवान् श्रीगणेश जी की यह एक मात्र ऐसी प्राचीन स्वयं सिद्ध प्रतिमा है जो हर साल तिल के बराबर बढ़ जाती है। यहाँ बरेली की ओर से तथा नेशनल हाईवे खरगोन से जामगढ़ भगदेई, सेनकुआ, वापोली धाम के पास से पपलई वन पोस्ट से होते हुए भी पहुंचा जा सकता है। विंध्याचल पर्वत पर ही तिल गणेश जी के पास ही ऐतिहासिक जामवंत गुफा और अनेक प्राचीन स्थल होने के कारण भी तिल गणेश जी को जामवंत गणेश भी कहा जाता है। पंडित नवीन शर्मा, चंद्रभान लोहार तथा विजय साहू ने कहा कि भगवान् श्री तिल गणेश जी के दर्शन संकटों से दूर रखते हैं।

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