भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी एवं वर्तमान में रीवा जिले की कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल को मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा फटकार लगाई गई। उन्हें बताया गया कि आपको कलेक्टर इसलिए नहीं बनाया गया है कि आप लोगों को प्रताड़ित करें बल्कि इसलिए बनाया है कि आप उनका अधिकार उन्हें सम्मान पूर्वक प्रदान करें।
कलेक्टर प्रतिभा पाल ने अपनी जगह जूनियर को हाई कोर्ट में भेज दिया
हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश में रीवा के एक किसान राजेश कुमार तिवारी की याचिका पर सुनवाई चल रही थी। यह याचिका दिनांक 14 जुलाई 2015 में दाखिल की गई थी। तब से इस मामले का निराकरण नहीं हुआ था। रीवा के कलेक्टर की ओर से उचित जवाब प्रस्तुत नहीं किया जा रहा था। इसी बात को लेकर दिनांक 6 जनवरी 2025 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल ने रीवा कलेक्टर को हाईकोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए ताकि इस मामले का निपटारा किया जा सके परंतु रीवा कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल स्वयं उपस्थित नहीं हुई बल्कि अपने स्थान पर जूनियर आईएएस को भेज दिया।
किसान के घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी दी जा रही थी
जूनियर आईएएस अधिकारी की उपस्थिति को उच्च न्यायालय द्वारा स्वीकार नहीं किया गया और 4 घंटे के भीतर रीवा कलेक्टर को हाईकोर्ट में प्रस्तुत होने के आदेश दिए गए। जब रीवा कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल कोर्ट रूप में उपस्थित हुई तो मामले की सुनवाई हुई। पाया गया कि किस की जमीन को गलत तरीके से अधिग्रहित कर लिया गया है और किस को प्रताड़ित किया जा रहा है। उसे गिरफ्तार करने, उसके घर पर बुलडोजर चलाने और उसे उसके घर से बेदखल कर देने की धमकी दी जा रही है। सन 1993 में उसकी जमीन को अधिकृत किया गया था परंतु सन 2024 तक उसे मुआवजा नहीं दिया गया।
हाई कोर्ट ने प्रतिभा पाल को उनका कर्तव्य याद दिलाया
यह प्रमाणित हो जाने के बाद विद्वान न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की आई महिला अधिकारी श्रीमती प्रतिभा पाल को समझाया कि, अच्छी स्टेट वो होती है जो कि अपनी गलती स्वीकार करती है और अपने सब्जेक्ट या सिटीजन को, जो बेनिफिट ड्यू है वह देती है। आपको कलेक्टर इसलिए नहीं बनाया कि आप उनके वाजिब हक का उल्लंघन करें, उनका शोषण करें। इस बात को हमेशा ध्यान रखें।
इस मामले में हाई कोर्ट द्वारा सन 2023 में भी कलेक्टर पर ₹10000 की कास्ट लगाई गई थी। इसके बाद भी मामले का निराकरण नहीं हुआ। इस बार उच्च न्यायालय ने, किसान की जमीन के अधिग्रहण आदेश को निरस्त घोषित कर दिया और रीवा कलेक्टर पर फिर से ₹10000 की कास्ट लगा दी गई है।
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