जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश में सीधी जिले की अतिथि विद्वान डॉ रामजस चौधरी की याचिका का निपटारा हो गया। उन्होंने हाई कोर्ट को बताया था कि, RSS सदस्यता नहीं लेने पर उन्हें जान का खतरा है। सरकार की ओर से हाई कोर्ट को आश्वासन दिया गया है कि, पुलिस अधीक्षक सीधी द्वारा 7 दिन के भीतर मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
पिटीशन नंबर 488 के आरोपियों के नाम
सीधी जिला के सरकारी कला और वाणिज्य महाविद्यालय, मझौली में गेस्ट फैकेल्टी, डॉ रामजस चौधरी ने हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका क्रमांक 488/2025 दायर करके, कालेज की प्राचार्य श्रीमति गीता भारती, उनके पति एस.आर. भारती, सहायक अध्यापक राजकिशोर तिवारी, संदीप कुमार शर्मा, विपेंद्र द्विवेदी, डॉ.सुरेश तिवारी एवं RSS कार्यकर्ता मनीष सोनी, रीतेश पांडे, शिवम् मिश्रा, आर्यन पांडे, अमन गहरवार, निल्य मिश्रा, गंगा सागर चतुर्वेदी, शांकरयाश्चर्य गिरी, रामकुमार गुप्ता, अभिनव द्विवेदी, अमन जायसवाल, शिवांश सिंह गहरवार, अमित केवट एवं पंकज तिवारी पर आरोप लगाया है।
डॉक्टर रामजस चौधरी ने क्या आरोप लगाया
याचिकाकर्ता डॉक्टर रामजस चौधरी का कहना है कि, उपरोक्त सभी लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अथवा उस संबद्ध किसी अन्य संगठन के कार्यकर्ता है। डॉ चौधरी ने आरोप लगाया है कि, इन सभी के एक राय होकर याचिका कर्ता को RSS की सदस्यता लेने तथा आयोजित कार्यक्रमों में आर्थिक सहयोग करने एवं आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए निरंतर बाध्य किया गया। जब याचिकाकर्ता ने साफ मना किया तो उसके ऊपर प्रणघातक हमला किया एवं कॉलेज के बाथरूम में बंद भी किया गया। जिसकी लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक तथा संबंधित पुलिस थाने में की गई थी।
डॉक्टर चौधरी ने हाई कोर्ट को बताया कि, शिकायत पर जैसे ही पुलिस ने जांच प्रारंभ की तो प्राचार्य ने शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया। इसके बाद भी जब शिकायत वापस नहीं ली तो प्राचार्य श्रीमती गीता भारती ने दिनांक 10 दिसंबर 2024 को उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। डॉ चौधरी ने उच्च शिक्षा विभाग में प्राचार्य के आदेश को चुनौती दी गई। दिनांक 17 जनवरी 2025 को मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा डॉक्टर चौधरी की सेवा बहाल कर दी गई।
डॉक्टर चौधरी ने हाई कोर्ट को बताया कि, लोकल पॉलीटिकल प्रेशर के कारण पुलिस ने मामले की जांच नहीं की और आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया इसलिए हाईकोर्ट में याचिका क्रमांक 488/25 दायर की गई। जिसकी आज दिनांक 22/01/25 को न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ द्वारा चेबर में सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा।
हाई कोर्ट का निर्देश
विद्वान न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने अपने आदेश में लिखा है कि, सरकारी अधिवक्ता श्री वीएस चौधरी ने न्यायालय के समक्ष सरकार का पक्ष प्रस्तुत करते हुए बताया है कि, मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सीधी जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया जाएगा की 7 दिन के भीतर याचिकाकर्ता डॉक्टर चौधरी की शिकायत की जांच करेंगे और यदि वास्तव में डॉक्टर चौधरी को उपरोक्त आरोपियों से जान का खतरा है तो नियम के अनुसार कार्रवाई करेंगे।