पृथ्वी पर पानी कहां से आता है और यह खत्म क्यों नहीं होता, नई रिसर्च का खुलासा - Space Science News

दुनिया भर के वैज्ञानिक आज तक एक बूंद पानी नहीं बना पाए। ब्रह्मांड के अनगिनत ग्रहों पर पानी नहीं है, लेकिन पृथ्वी पर पानी की कोई कमी नहीं है। क्या आपने कभी सोचा है कि, पृथ्वी पर इतना सारा पानी कहां से आता है और यह पानी कभी खत्म क्यों नहीं होता है। University of Göttingen में हुई एक रिसर्च रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है। पृथ्वी पर पानी की उपलब्धता के 4 अरब वर्ष बाद किसी ने एक लंबी रिसर्च के बाद यह बताया कि पृथ्वी पर पानी कहां से आता है। 

पृथ्वी पर पानी लाने वाले उल्कापिंड का नाम क्या है

University of Göttingen के भू-विज्ञान केंद्र (Geoscience Centre) के प्रबंध निदेशक, प्रोफेसर एंड्रियास पैक (Professor Andreas Pack) ने बताया कि University of Göttingen और Max Planck Institute for Solar System Research - MPS के वैज्ञानिकों ने 14 Lunar Samples and 191 Terrestrial Measurements का अध्ययन करने के बाद कुछ नई बातों का पता लगाया है। इस रिसर्च के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ है कि पृथ्वी पर पानी कहां से आया। उन्होंने बताया कि एनस्टेटाइट कोंड्राइट्स (Enstatite Chondrites) नाम के विशेष उल्कापिंड पृथ्वी पर पानी लेकर आते हैं। 4 अरब पहले केवल Enstatite Chondrites के कारण पृथ्वी पर पानी अस्तित्व में आया। Enstatite Chondrites मूल रूप से पृथ्वी की आइसोटोपिक संरचना से मिलते-जुलते होते हैं और इनमें भरपूर मात्रा में पानी होता है। 

इस रिसर्च के पहले तक क्या माना जाता था

Late Veneer Event सिद्धांत को पूरी दुनिया में वैज्ञानिकों द्वारा स्वीकार किया गया था। इसमें बताया गया था कि चंद्रमा के निर्माण के बाद उल्का पिंडों और धूमकेतुओं के माध्यम से पानी पृथ्वी पर आया है। इन खगोलीय पिंडों में बर्फ जमा होती है और जब यह पृथ्वी से टकराते हैं तो बर्फ पिघल कर पानी बन जाती है और वह पानी पृथ्वी को मिल जाता है। 

यह रिसर्च रिपोर्ट Proceedings of the National Academy of Sciences में प्रकाशित हुई है। नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ज्यादातर उल्का पिंडों में बर्फ नहीं होती है। सिर्फ Enstatite Chondrites नाम का उल्का पिंड ऐसा है, जिसमें भरपूर मात्रा में पानी होता है। यही कारण है कि 4.5 अरब वर्ष बाद, पृथ्वी पर हम इंसानों की संख्या 800 करोड़ से अधिक हो गई है परंतु पानी कभी खत्म नहीं होता बल्कि कई बार तो बढ़ जाता है।

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