अगर कोई लोक सेवक किसी व्यक्ति को नुकसान या क्षति पहुचाने के लिए गलत दस्तावेज या अभिलेख तैयार करता है तब उस अधिकारी पर क्या कार्यवाही होगी, जानिए:-
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 201 की परिभाषा
जो कोई लोक सेवक किसी व्यक्ति को क्षति करने के उद्देश्य से जानबूझकर कोई दस्तावेज, अभिलेख, आदेश को संशोधित करेगा या उनकी कूट रचना करेगा या किसी आदेश, निर्देश के अनुवाद को बदलेगा या अशुद्ध करेगा वह व्यक्ति BNS की धारा 201 के अंतर्गत दोषी होगा।
BNS की धारा 201 एवं 256 में समान्य अन्तर
अगर हम इन दोनों धाराओं के अपराध की बात करें तो दोनों अपराध लोक सेवक द्वारा की किए जाते है,और दिखने में दोनों अपराध समान ही होते है समझने तौर पर दोनों अपराधों में बहुत बड़ा अन्तर है जानिए:-
1. BNS की धारा 201 वहां लागू होती है जब कोई लोक सेवक किसी व्यक्ति को नुकसान या क्षति पहुचाने के आशय से किसी दस्तावेज को संशोधित करता है या कुटरचित करता है।
2. BNS की धारा 256 वहा लागू होती है जब कोई लोक सेवक किसी व्यक्ति की संपत्ति बचाने या उसे फायदा पहुचाने के लिए किसी दस्तावेज को संशोधित करता है या कूटरचित करता है।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 201 of punishment
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज होगी, या पीड़ित व्यक्ति को प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) भी दर्ज करवा सकता है। इन अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। सजा - इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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