हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की जबलपुर स्थित डिवीजन बेंच ने गर्भपात के मामले में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। इससे पहले हाई कोर्ट की इंदौर और जबलपुर सिंगल बेंच द्वारा अलग-अलग दिशा निर्देश दिए गए थे। इसके कारण कन्फ्यूजन की स्थिति बन गई थी। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मामले का स्वतः संज्ञान (suo motu) लिया और स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर दिए।
मामला 18 वर्ष से कम आयु की पीड़ित लड़कियों के गर्भपात का है। मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि:-
- अगर पीड़िता का गर्भ 24 सप्ताह या उससे कम अवधि का है, तो संबंधित जिले की पॉक्सो कोर्ट में मामले की सुनवाई की जाएगी।
- पॉक्सो कोर्ट तीन दिन के भीतर गर्भपात पर फैसला लेगी।
- पीड़िता को बिना किसी आवेदन के मेडिकल बोर्ड भेजा जाएगा।
- परिजनों की अनुमति लेकर गर्भपात की प्रक्रिया करवाई जाएगी।
- अगर गर्भ 24 सप्ताह से अधिक का है, तो जिला कोर्ट मामला हाईकोर्ट को भेजेगा।
- हाईकोर्ट स्वतः संज्ञान लेते हुए तेजी से मामले का निपटारा करेगी।
- मेडिकल विशेषज्ञों की राय के आधार पर गर्भपात की अनुमति दी जाएगी।
- डीएनए परीक्षण के लिए भ्रूण को सुरक्षित रखना अनिवार्य होगा।
डीएनए टेस्ट के लिए भ्रूण सुरक्षित रखना अनिवार्य
दोनों ही स्थितियों में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि डीएनए परीक्षण के लिए भ्रूण को सुरक्षित रखना जरूरी होगा, ताकि न्यायिक प्रक्रिया में इसका उपयोग किया जा सके। इस गाइडलाइन के बाद, इसके पूर्व इंदौर सिंगल बेंच एवं जबलपुर सिंगल बेंच द्वारा जारी की गई गाइडलाइन प्रभावहीन हो गई।
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