Current affairs - UPSC - PSC परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण क्वेश्चन आंसर

भारत की संसद में बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान भारत सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं की समीक्षा की जा रही है और उनके आंकड़े प्रस्तुत किए जा रहे हैं। अर्थात भारत सरकार की योजनाओं से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी अपडेट हो रही है। ऐसी स्थिति में संघ लोक सेवा आयोग एवं विभिन्न राज्यों के लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न एवं उत्तर संशोधित होने की संभावना है। अपडेट जानकारी इस प्रकार है:- 

प्रयागराज कुंभ मेला में में कितना इस्पात उपयोग किया गया 

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के पास एक समर्पित विपणन व्यवस्था है जो उनके इस्पात संयंत्रों द्वारा उत्पादित कार्बन, मिश्र धातु और विशेष इस्पात उत्पादों के विपणन के लिए जिम्मेदार है। सेल ने प्रयागराज में महाकुंभ मेले 2025 के लिए लगभग 45,000 टन स्टील की आपूर्ति की है, जिसमें से अधिकांश आपूर्ति लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम, विद्युत बोर्ड और उनके आपूर्तिकर्ताओं को की गई है। यह जानकारी इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी। 

डिजिटल कृषि मिशन

सरकार ने 2 सितंबर 2024 को 2817 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 54.972 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। हालांकि, महाराष्ट्र राज्य सहित राज्यों को उनके प्रस्तावों के आधार पर धनराशि जारी की जाती है। मिशन का उद्देश्य देश में एक मजबूत डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करना है ताकि अभिनव किसान-केंद्रित डिजिटल समाधान चलाए जा सकें और देश के सभी किसानों को समय पर और विश्वसनीय फसल संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। मिशन में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना जैसे एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली, व्यापक मृदा उर्वरता और प्रोफ़ाइल मानचित्र और केंद्र सरकार/राज्य सरकारों द्वारा की जाने वाली अन्य आईटी पहलों का निर्माण शामिल है। एग्रीस्टैक परियोजना इस मिशन के प्रमुख घटकों में से एक है, जिसमें कृषि क्षेत्र में तीन मूलभूत रजिस्ट्री या डेटाबेस शामिल हैं, यानी किसानों की रजिस्ट्री, भू-संदर्भित गाँव के नक्शे और फसल बोई गई रजिस्ट्री, जो सभी राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाई और रखी जाती हैं। सरकार मिशन के कार्यान्वयन के लिए सभी राज्यों को प्रशासनिक और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है। एग्रीस्टैक किसानों के जनसांख्यिकीय विवरण, भूमि जोत और बोई गई फसलों पर व्यापक और उपयोगी डेटा प्रदान करता है। यह किसानों को ऋण, बीमा, खरीद आदि जैसे लाभों और सेवाओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल रूप से पहचानने और प्रमाणित करने में सक्षम बनाता है। यह राज्य को ऐसे समाधान तैयार करने में भी सक्षम बनाता है जो किसानों के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था तक पहुँच खोलते हैं जैसे कि एक भरोसेमंद तरीके से इनपुट तथा उपज की ऑनलाइन खरीद और बिक्री।

इसके अलावा, सरकार राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) को लागू कर रही है, जो विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की भौतिक थोक मंडियों/बाजारों को एकीकृत करने वाला एक वर्चुअल प्लेटफॉर्म है, ताकि पारदर्शी मूल्य खोज पद्धति के माध्यम से कृषि वस्तुओं के ऑनलाइन व्यापार की सुविधा मिल सके और किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर लाभकारी मूल्य मिल सके। 31 दिसंबर, 2024 तक 23 राज्यों और 04 केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की 1410 मंडियों को ई-नाम प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत किया जा चुका है।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दिया है। 

सैटेलाइट के माध्यम से फसल नुकसान का आकलन

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (एमएनसीएफसी) के माध्यम से विभिन्न सरकारी और निजी एजेंसियों को शामिल करके उपग्रहों यानी रिमोट सेंसिंग डेटा सहित प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पीएमएफबीवाई के तहत समय पर और पारदर्शी उपज अनुमान के लिए पायलट अध्ययन किया है। इनके निष्कर्षों के आधार पर और हितधारकों और तकनीकी परामर्श के साथ चर्चा के बाद खरीफ 2023 से धान और गेहूं की फसलों के लिए यस-टेक (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली) शुरू की गई है। सरकार ने फसल हानि आकलन में सुधार लाने और किसानों के लिए समय पर बीमा दावों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक फसल कटाई प्रयोगों (सीसीई) आधारित उपज आकलन के साथ प्रौद्योगिकी आधारित उपज आकलन को लागू किया है। इस पहल के तहत उपज अनुमान में 30 प्रतिशत भारांश अनिवार्य रूप से यस-टेक व्युत्पन्न उपज को दिया गया है।

खरीफ 2023 में सभी कार्यान्वयन करने वाले राज्यों ने यस-टेक का उपयोग करके दावों की गणना और भुगतान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और किसी भी हितधारक से कोई विवाद रिपोर्ट नहीं किया गया है, जिससे प्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ गई है। 

जलवायु अनुकूल कृषि - NICRA 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार (एनआईसीआरए) नामक एक परियोजना का क्रियान्वयन कर रही है, जो फसलों, पशुधन, बागवानी और मत्स्य पालन सहित कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करती है। यह जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों का विकास और संवर्धन भी करता है, जो सूखा, बाढ़, पाला, अत्यंत गर्मी आदि जैसी चरम मौसम स्थितियों से ग्रस्त क्षेत्रों में मदद करती हैं। एनआईसीआरए के तहत किए गए अध्ययनों से पता चला है कि अनुकूलन उपायों के अभाव में जलवायु परिवर्तन से वर्षा आधारित और सिंचित चावल, गेहूं, खरीफ मक्का आदि की उपज कम होने की संभावना है। 

एनआईसीआरए के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन के प्रति कृषि के जोखिम और संवेदनशीलता का आकलन अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल (आईपीसीसी) प्रोटोकॉल के अनुसार 651 कृषि प्रधान जिलों में जिला स्तर पर किया गया है। संवेदनशील के रूप में पहचाने गए 310 जिलों में से 109 जिलों को ‘अत्यधिक संवेदनशील’ और 201 जिलों को ‘संवेदनशील’ श्रेणी में रखा गया है। 

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी। 

भारत में दुग्ध उत्पादन 26.34% की वृद्धि

वैश्विक स्तर पर उन्नत डेयरी देशों की तुलना में भारत में देशी बोवाइन नस्लों की उत्पादकता कम है। यह मुख्यत: डेयरी पशुओं की निम्न आनुवंशिक क्षमता और पशुओं को कम पोषण देने के कारण है। हालांकि देश में बोवाइन पशुओं की कुल उत्पादकता वर्ष 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 1640 किलोग्राम से बढ़कर वर्ष 2023-24 में प्रति पशु प्रति वर्ष 2072 किलोग्राम हो गई है। यह 26.34% की वृद्धि है, जो विश्व में किसी भी देश द्वारा की गई सबसे अधिक उत्पादकता वृद्धि है। 

अमृत सरोवर योजना

मिशन अमृत सरोवर अप्रैल 2022 में शुरू किया गया था, इसका उद्देश्य प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर (तालाब) बनाना या उनका पुनरुद्धार करना है, जिनकी कुल संख्या पूरे देश में 50,000 है। इस पहल ने जल संकट के गंभीर मुद्दे को हल करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। जनवरी 2025 तक 68,000 से अधिक सरोवर पूरे हो चुके हैं। 

राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड

भारत सरकार ने राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) में इक्विटी पूंजी के रूप में 10,300 करोड़ रुपए प्रदान करने [सितंबर, 2024 में आपातकालीन निधि के रूप में पहले से उपलब्ध कराए गए 500 करोड़ रुपए सहित] और 1140 करोड़ रुपए कार्यशील पूंजी ऋण को 7 प्रतिशत गैर-संचयी वरीयता शेयर पूंजी के रूप में परिवर्तित करने को मंजूरी दी है। इसे 10 वर्षों के बाद भुगतान करके वापिस लिया जा सकेगा, ताकि आरआईएनएल को चालू हालत में रखा जा सके। 

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