यदि कोई व्यक्ति, 18 वर्ष से अधिक आयु की किसी लड़की को, उसकी मर्जी के बिना, भयभीत करके अथवा किसी प्रकार का लालच देकर, अपने साथ भगाकर ले जाता है। इस क्रिया को भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 87 के तहत अपराध घोषित किया गया है, परंतु हर को उस व्यक्ति को दंडित नहीं किया जा सकता, इसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। जानिए, ऐसे मामलों में पुलिस को क्या साबित करना होता है, और किस प्रकार से आरोपी, स्वयं को निर्दोष प्रमाणित कर सकता है, पढ़िए महत्वपूर्ण निर्णय:-
हरिराम बनाम राजस्थान राज्य वाद:-
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को IPC की धारा 366 (BNS की धारा 87 होगी) के अपराध से दोषीसिद्ध करने से इसलिए इन्कार कर दिया क्योंकि सबूतों के आधार पर यह पाया गया था कि पीड़िता महिला को आरोपी द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया गया और रखा गया। अनेक अवसर मिलने के बाद भी महिला ने इसका विरोध नहीं किया, इसका अर्थ यह हुआ की महिला अपनी स्वेच्छा से गई थी और महिला विवाह या अन्य कार्य के लिए किसी पुरुष के साथ स्वेच्छा से जाती है और यह साबित हो जाता है तो यह अपराध नहीं होगा। इसलिए आरोपी को दोषी ठहराया जाना न्यायोचित नहीं होगा।
सचिन्द्र नाथ मजुमदार बनाम विष्णुपद दास
मामले में एक अठारह वर्षीय लड़की अपने पिता की अनुपस्थिति में घर से भाग गई थी। आरोपी ने उसे अनेक स्थानों पर ले गया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इन परिस्थितियों और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को IPC की धारा 366 (BNS की धारा 87 होगी) के अंतर्गत दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया में आरोपीय व्यक्ति ने लड़की को विवाह करने के लिए मजबूर नहीं किया।
स्पेशल नोट
भारतीय दंड संहिता की धारा 366 अथवा भारतीय न्याय संहिता की धारा 87 के अंतर्गत राज्य शासन अर्थात पुलिस अथवा अभियोजन को न्यायालय में आरोपी के 'इरादे' को प्रमाणित करना अनिवार्य होता है। लड़की के बयान अथवा इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर की रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को दंडित नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि पिछले पांच सालों में इस धारा के तहत ना तो अधिक संख्या में मामले दर्ज हुए हैं और ना ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई विशिष्ट अथवा लैंडमार्क जजमेंट दिया गया है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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