legal advice - महिला, पति के खिलाफ प्रताड़ना का परिवाद किस न्यायलय दायर कर सकती है, पढ़िए

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 85 एवं 86 विवाहित या लिव इन रिलेशनशिप में रह रही महिलाओं की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार दिया गया है। अगर कोई पुरुष किसी महिला के साथ क्रूरता करता है तो उसे अधिकतम तीन वर्ष की कारावास हो सकती है। कभी-कभी पुलिस इस इस मामले की एफआईआर नहीं करते है तब पीड़ित महिला प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास इसकी शिकायत कर सकती हैं लेकिन सवाल यह है कि किस क्षेत्र के न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास इसकी शिकायत करे, जानिए इसका महत्वपूर्ण जवाब:-

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण जजमेंट - रूपाली देवी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, वर्ष 2019

उपरोक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया है कि जिस स्थान पर पत्नी, अपने पति या उसके नातेदार द्वारा क्रूरता का शिकार होकर अपना वैवाहिक घर छोड़कर या भाग कर शरण लेती हैं उस स्थान के न्यायालय में भी महिला भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498(ए) (अब BNS की धारा 85 एवं 86 होगी) के अपराध का परिवाद दर्ज करने का अधिकार होगा। 

हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण जजमेंट - विजय रतन शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य वाद

इस मामले में उच्च न्यायालय ने विनिश्चित किया कि जहां पति ने या उसके नातेदारों ने पत्नी के साथ क्रूरता करके उसे मायके वापस भेज दिया हो और क्रूरता तथा प्रताड़ना के परिणामस्वरूप मानसिक अशांति के कारण वह गभीर रूप से बीमार हो गई हो तो उसके मायके के स्थान के मजिस्ट्रेट को पीडित पत्नी के पति के विरुद्ध IPC की धारा 498A (अब BNS की धारा 85 एवं 86 होगी  के अपराध का संज्ञान करने की अधिकारिता है।

स्थानीय मजिस्ट्रेट आरोपी के विरुद्ध BNS की धारा 85 एवं 86 (पूर्व में  IPC की धारा 498A) के अधीन क्रूरता के अपराध के लिए तथा भारतीय नागरिक संहिता, 2023 के अंतर्गत दाण्डिक कार्यवाही कर सकता है। 

कुलमिलाकर दोनों निर्णय की अगर बात करे तो महिला जहां जाकर निवास करती है, चाहे वह किराये से भी क्यूँ न रह रही हो, किसी भी क्षेत्र मे, वहीं के मजिस्ट्रेट के पास परिवाद दायर कर सकती है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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