मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के समग्र विकास के लिये निरंतर नई सोच के साथ परिश्रम कर रहे हैं। उनका प्रदेश के प्रति प्रेम और समर्पण आज मध्यप्रदेश के विकास की नई गाथा लिखने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समग्र विकास को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए ‘मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति-2025’ के क्रियान्वयन को मंजूरी दी। इससे प्रदेश में आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को नई गति मिलेगी।
Madhya Pradesh MSME Development Policy-2025
मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति-2025 में निवेश पर 40% तक की सहायता, नए उद्योगों में नवकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन, अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला उद्यमी इकाई को 48% की सहायता और पिछड़े विकासखण्डों में 1.3 गुना सहायता का प्रावधान किया गया है। निर्यात को प्रोत्साहित किया जायेगा। निर्यातक इकाई को निवेश पर 52% तक की सहायता, निर्यात हेतु माल ढुलाई पर अधिकतम 2 करोड़ रुपए की सहायता के साथ निर्यात के लिये प्रमाण पत्र पर 50 लाख रुपए की सहायता दी जायेगी। मध्यम इकाई को 100 से अधिक रोजगार देने पर डेढ़ गुना अनुदान दिया जाएगा। रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए प्रति कर्मचारी 5000 रुपए प्रति माह 5 वर्ष तक मदद की जाएगी। इसके साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण हेतु 13000 रुपए की सहायता का भी नीति में प्रावधान किया गया है।
एमएसएमई नीति में सेवा क्षेत्र में पहली बार सहायता देने के प्रबंध किये गये हैं। इसमें लॉजिस्टिक, रिसाइक्लिंग, मोटर यान स्क्रेपिंग के साथ आर एंड डी शामिल है। मेडिकल डिवाइस और फुटवियर के लिए पहली बार विशेष पैकेज भी दिया गया है। नीति में नवीन क्षेत्र को सहायता देने का भी प्रावधान किया गया है। इसमें एमएसएमई एक्सचेंज, लीन इंजीनियरिंग, टेस्टिंग लैब, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हेतु सहायता भी मिलेगी।
मध्यप्रदेश एमएसएमई को औद्योगिक भूमि एवं भवन आवंटन तथा प्रबंधन नियमों में सशोधन भी किये जा रहे हैं। संशोधन अनुसार विकसित किए जाने वाले औद्योगिक भू-खंडों का आबंटन "पहले आओ-पहले पाओ" के स्थान पर ई-बिडिंग अब फ्लैटेड इंडस्ट्रियल एरिया और कॉम्पलेक्स का निर्माण और आबंटन का नवीन प्रावधान किया गया है। इन संसाधनों के बाद भूमि का आबंटन सरल, पारदर्शी एवं ऑनलाइन तरीके से त्वरित गति से हो सकेगा। इस नीति के तहत निवेशकों को व्यापक सहायता प्रदान करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इससे प्रदेश में छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के विस्तार को नई ऊर्जा मिलेगी।
उद्योगों को 40% तक की सहायता, पिछड़े इलाकों को विशेष लाभ
नई नीति में राज्य में स्थापित होने वाले उद्योगों को निवेश पर 40% तक की वित्तीय सहायता मिलेगी। इसके अलावा, अनुसूचित जाति/जनजाति और महिला उद्यमियों द्वारा स्थापित इकाइयों को 48% तक की सब्सिडी दी जाएगी। औद्योगिक रूप से पिछड़े विकासखंडों में उद्योग लगाने पर यह सहायता 1.3 गुना अधिक होगी, जिससे इन क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
निर्यातकों को मिलेगा प्रोत्साहन
प्रदेश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई नीति में निर्यातक इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है। इसमें निवेश पर 52% तक की वित्तीय सहायता, निर्यात के लिए माल ढुलाई पर अधिकतम 2 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी और निर्यात संबंधी प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर 50 लाख रुपए तक की सहायता शामिल है।
रोजगार सृजन और कौशल विकास पर जोर
प्रदेश में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए मध्यम श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों को 100 से अधिक लोगों को रोजगार देने पर डेढ़ गुना अधिक अनुदान दिया जाएगा। नई नीति में प्रति कर्मचारी 5 हजार रुपए प्रति माह की वित्तीय सहायता 5 वर्षों तक दी जाएगी। साथ ही औद्योगिक प्रशिक्षण और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रति कर्मचारी 13 हजार रुपए तक का प्रशिक्षण अनुदान भी प्रदान किया जाएगा।
नई नीति से प्रदेश में निवेश और औद्योगीकरण को मिलेगी गति
नई एमएसएमई नीति लागू होने से मध्यप्रदेश में छोटे और मध्यम उद्योगों को नए अवसर मिलेंगे। इससे प्रदेश में औद्योगीकरण को गति मिलेगी। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दी गई वित्तीय सहायता और प्रोत्साहनों से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में मध्यप्रदेश की नई नीति महत्वपूर्ण साबित होगी।
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