नई दिल्ली। मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती से संबंधित मध्य प्रदेश सरकार की विशेष अनुमति याचिका (SLP) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया है। इस याचिका के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी सरकार
मामला मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती से जुड़ा था, जिसमें कुछ अभ्यर्थियों की चयन प्रक्रिया को लेकर विवाद हुआ था। अभ्यर्थियों ने अपनी याचिका में दावा किया था कि वे भर्ती प्रक्रिया में सफल रहे थे, लेकिन 'लाइव रोजगार पंजीकरण प्रमाणपत्र' न होने के कारण उन्हें चयन सूची से बाहर कर दिया गया। हाई कोर्ट ने इन अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया था और सरकार को निर्देश दिया था कि वह उनके मामलों पर पुनर्विचार करे। सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने दखल देने से इनकार कर दिया और राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का फैसला सही माना
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता शामिल थे, ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला सही है और इसमें किसी तरह के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। इस फैसले से उन अभ्यर्थियों को राहत मिली है, जिन्हें रोजगार पंजीकरण प्रमाणपत्र के अभाव में चयन से वंचित कर दिया गया था। अब राज्य सरकार को उनके मामलों पर पुनर्विचार करना होगा और नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा।
सरकारी नौकरी के लिए रोजगार पंजीयन की वैधता अनिवार्य नहीं, वकील की दलील
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पुलिस अभ्यर्थियों की तरफ से पैरवी अधिवक्ता दिनेश सिंह चौहान ने की थी। जिसमें दिनेश सिंह चौहान ने माननीय उच्च न्यायालय को बताया था कि सरकारी भर्तियों में रोजगार पंजीयन की वैधता अनिवार्य नहीं होती है यह एक प्रकार से संवैधानिक अधिकारों को हनन करता है। साथ ही साथ माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले कई सारे जजमेंट में भी कहा था कि पब्लिक अपॉइंटमेंट के लिए रोजगार पंजीयन की आवश्यकता नहीं है।
दिनेश सिंह चौहान की बातों और तर्कों से सहमत होकर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा चीफ जस्टिस की बेंच ने दो हफ्ते के अंदर पुलिस कांस्टेबल रिक्रूटमेंट में भारतीयों को ज्वाइनिंग देने के लिए कहा था। किंतु सरकार जॉइनिंग देने की जगह सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट में सरकार को और पुलिस डिपार्टमेंट को मुंह की खानी पड़ी और सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस मुख्यालय और सरकार की तरफ से लगाई गई एसएलपी को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को मुहर लगा दिया।
ITEM NO.30, COURT NO.5, SECTION IV-C
SUPREME COURT OF INDIA - RECORD OF PROCEEDINGS
Petition(s) for Special Leave to Appeal (C) No(s).26593-26594/2023 [Arising out of impugned final judgment and order dated 26-04-2023 in WP No. 13027/2021 09-08-2023 in RP No. 653/2023 passed by the High Court of Madhya Pradesh at Gwalior]
THE STATE OF MADHYA PRADESH & ORS. Petitioner(s)
VERSUS
MONIKA SHAKYA & ANR. Respondent(s)
UPON hearing the counsel the Court made the following ORDER
We are not inclined to interfere with the impugned judgment(s) and order(s) passed by the High Court. The Special Leave Petition(s) are, accordingly, dismissed.
Pending application(s) shall also stand disposed of.
(NEETU KHAJURIA) ASTT. REGISTRAR-cum-PS
(RANJANA SHAILEY) COURT MASTER
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