मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियों ने वसूली की कार्रवाई के लिए संविधान के विरुद्ध मनमाने नियम बना लिए हैं। कंपनी स्वयं वसूली का नोटिस जारी करती है और फिर संपत्ति जब्ती की कार्रवाई शुरू कर देती है। हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश की ग्वालियर बेंच ने इस तरह की प्रक्रिया को कानून के विपरीत बताते हुए अपास्त घोषित कर दिया है।
Naveen Jain vs Electricity Department Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, ग्वालियर खंडपीठ ने नवीन जैन द्वारा दाखिल की गई रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए विद्युत विभाग द्वारा पिछले 3 वर्षों से जारी वसूली कार्रवाई को कानूनी प्रावधानों के विपरीत करार देते हुए इसे अपास्त घोषित कर दिया है। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अंचित जैन, अधिवक्ता ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि विद्युत विभाग ने 2 साल पहले, 23 जुलाई 2022 को नवीन जैन के खिलाफ विद्युत चोरी का आरोप लगाते हुए 1,93,561 रुपये की वसूली का नोटिस जारी किया था। इसके बाद, विभाग ने भुगतान न करने पर संपत्ति जब्त करने का नोटिस भी भेजा था।
कानून के अनुसार क्या कार्रवाई होनी चाहिए
विद्युत चोरी या अनधिकृत उपयोग के मामले में बिजली कंपनी को उपभोक्ता को आरोपों का जवाब देने का अवसर देना आवश्यक है। यदि वह नोटिस का जवाब प्रस्तुत करता है तो पावती देना अनिवार्य है। इसके बाद विभाग तय करेगा कि कार्रवाई की आवश्यकता है या नहीं। यदि कार्रवाई करना जरूरी हो, तो विभाग को विशेष सत्र न्यायालय में शिकायती आवेदन पेश करना होगा, और न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को सुनकर ही निर्णय लिया जाएगा कि उपभोक्ता दोषी है या नहीं। यदि आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो ही वसूली, संपत्ति कुर्की और अन्य दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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