MP NEWS - खेत, बगीचा और घरों में ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई करें

यदि आप अपने खेत में, बगीचे में या फिर घर में ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई करना चाहते हैं तो,  आज से ही शुरू कर दीजिए क्योंकि ग्रीष्मकालीन सब्जियों की पौध की तैयारी व बुवाई का यह उपयुक्त समय चल रहा है। बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च तक कर सकते हैं। ग्रीष्मकालीन सब्जियों लौकी, कद्दू, करेला, तोरई, खीरा, टिण्डा की बुवाई का यह उपयुक्त समय है। 

सब्जी के खेत में नालियां कैसे बनाएं

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इनके लिए बलुई दोमट मिट्टी, जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के मध्य हो उपयुक्त होती है। मृदा जांच रिपोर्ट के आधार पर गोबर की खाद या कम्पोस्ट अथवा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें। बुवाई के लिए नालियां या जमीन से उठी हुई क्यारियां तैयार कर लें। खेत में नालियां लगभग 40-50 सेंटीमीटर चौड़ी और 30-40 सेंटीमीटर गहरी बनाएं। दो कतारों में 2 से 4 मीटर की दूरी रखें। बीज दर खीरा के लिए 2 से 2.5 किलोग्राम, लौकी की 4 से 5, करेला की 5 से 6, तोरई की 4.5 से 5, कद्दू की 3 से 4, टिण्डा की 5 से 6, तरबूज की 4 से 4.5 और खरबूज की बीज दर 2.5 किलोग्राम रखें। रोपाई से पूर्व सब्जियों के बीजों को फफूंदनाशक दवा काबेंडाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें।

सब्जियों के खेत में खाद का फार्मूला क्या होना चाहिए

ज्यादातर बेल वाली सब्जियों में खेत की तैयारी के समय 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करें। नत्रजन 80 किलोग्राम, फॉस्फोरस 50 किलोग्राम, पोटाश 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। ग्रीष्मकालीन भिण्डी बुवाई फरवरी से मार्च तक करें। उन्नत किस्म परभनी क्रांति, अर्का अभय, वीआरओ-5, वीआरओ-6, अर्का अनामिका का चयन करें। पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई से पूर्व थायोमिथाक्जाम 30 एफएस मात्रा 10 मिली लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस मात्रा 1.25 मिली लीटर प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बुवाई के लिए बीज दर 20 से 22 किग्रा रखें एवं कतार से कतार की दूरी 25-30 सेंटीमीटर, पौध से पौध की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर एवं बीज की गहराई 2 से 3 सेंटीमीटर से अधिक न रखें। खेत में भिण्डी की बुवाई से पूर्व 2 से 2.5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिलाएं एवं रसायनिक उर्वरक नत्रजन, स्फुर, पोटाश 60 किलोग्राम, 30 किलोग्राम एवं 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।

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