मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का जनता दरबार स्थगित हो जाने के बाद केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी संसदीय क्षेत्र में जनता दरबार का ऐलान किया था। आयोजन भी किया गया परंतु कहीं पर हंगामा हुआ तो कहीं पर शरारत हो गई। नतीजा सिंधिया के दरबार में तैनात किए गए पांच कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया। इसमें तीन पटवारी और दो क्लर्क शामिल है।
जनता की शिकायत नहीं, शरारत के कारण हुई कार्रवाई
केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के जनता दरबार का आयोजन, पहले से फिक्स था। जिन लोगों की सुनवाई होनी थी, उनका सिलेक्शन पहले किया जा चुका था। समस्याओं का समाधान भी हो गया था। केवल इवेंट बाकी था लेकिन लोकप्रिय लोकल मीडिया द्वारा सिंधिया के जनता दरबार का जबरदस्त प्रचार प्रसार कर दिया गया। नतीजा हजारों लोग आ गए। शिवपुरी में हंगामा हुआ। सिर्फ 10% आवेदनों की सुनवाई की गई और पिछोर से वायरल होती हुई खबर मिली कि, श्रीमंत महाराज साहब को दिए गए आवेदन कचरे में फेंक दिए गए हैं। फोटो और वीडियो भी वायरल हुए।
कलेक्टर ने खंडन, भाजपा ने सस्पेंड किया
यह भी अपने आप में अजीब है। जब पिछोर से खबर आई की केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया को दिए गए आवेदन कचरे में फेंक दिए गए हैं तो शिवपुरी कलेक्टर श्री रविंद्र कुमार चौधरी द्वारा इस समाचार को गलत बताते हुए स्पष्ट किया गया कि, जो कागज वहां पर मिले हैं वह आवेदनों की फोटो कॉपी हैं। जनता द्वारा केंद्रीय मंत्री को जो आवेदन दिए गए थे, उन्हें रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है और वह विधिवत कार्रवाई के लिए रिकॉर्ड में उपलब्ध हैं। इसके थोड़ी देर बाद भारतीय जनता पार्टी द्वारा सूचित किया गया कि, कार्य में लापरवाही के कारण पटवारी दीपक शर्मा, पटवारी दीपक दांगी, पटवारी प्रतीक पाराशर, सहायक ग्रेड 3 प्रमोद वर्मा, सहायक ग्रेड 3 प्रशांत शर्मा को निलंबित किया गया है। इसके अतिरिक्त पंजीयन काउंटर पर शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई गई थी। उनके विरुद्ध भी कार्यवाही के लिए एसडीएम द्वारा प्रस्ताव भेजा गया है।