पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण जजमेंट में स्पष्ट किया है कि OMR SHEET सीट में विवरण भरने में हुई किसी मामूली गलती के कारण उम्मीदवारी निरस्त नहीं कर सकते हैं। उच्च न्यायालय ने कहा की परीक्षा के आयोजक को एक शिकारी की तरह, अभ्यर्थियों की हर गलती पर उन्हें शिकार बनाते हुए चयन प्रक्रिया से बाहर नहीं करना चाहिए।
प्रतियोगी परीक्षा के दबाव में मामूली गलती क्षमा योग्य: हाई कोर्ट
यह मामला हरियाणा आए लोक सेवा आयोग के खिलाफ प्रस्तुत किया गया था। विद्वान न्यायमूर्ति विनोद एस भारद्वाज ने विवाद का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन शीट में, कुछ विवरण भरने में, यदि उम्मीदवार द्वारा अनजाने में, कोई चूक हो गई है तो इसके कारण, उसकी उम्मीदवारी स्वत: निरस्त नहीं हो जाती है। न्यायमूर्ति भारद्वाज ने कहा कि, एक अभ्यर्थी की उम्मीदवारी निरस्त कर देना, भर्ती परीक्षा प्रक्रिया में सबसे बड़ी कार्रवाई है। प्रतियोगी परीक्षाओं में उच्च दबाव का माहौल रहता है और ऐसी स्थिति में कई बार उम्मीदवारों से मामूली गलती हो जाती है। इस तरह की गलती के कारण परीक्षा प्रक्रिया को कोई हानि नहीं होती है।
यदि अपराध नहीं किया है तो सजा नहीं जुर्माना होना चाहिए
हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि यदि उम्मीदवार द्वारा की गई किसी गतिविधि से चयन प्रक्रिया की अखंडता प्रभावित नहीं होती है, किसी भी प्रकार की हेरा फेरी अथवा छेड़छाड़ की चिंता पैदा नहीं होती है, तब ऐसी स्थिति में उसकी उम्मीदवारी को ऑटोमेटेकली निरस्त कर देना उचित नहीं है। ब्लैक लॉ डिक्शनरी का हवाला देते हुए, अदालत ने स्पष्ट किया कि अस्वीकृति एक 'संभावित परिणाम' है और यह अनिवार्य/अनिवार्य परिणाम नहीं हो सकता है।
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