Supreme Court - अस्थाई, संविदा, DWL कर्मचारियों के नियमितीकरण का रास्ता साफ

भारत के विभिन्न राज्यों में और केंद्रीय विभाग में काम करने वाले उन समस्त अस्थाई कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान, अस्थाई शिक्षक और आउटसोर्स कर्मचारी के लिए गुड न्यूज़ है जो किसी स्थाई पद पर लंबे समय से कम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे सभी कर्मचारियों के नियमितीकरण का रास्ता साफ कर दिया है। यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उमा देवी 2006 वाला मामला स्थाई कर्मचारियों को नियमित करने से नहीं रोकता है। 

Important judgment of Supreme Court for regularization of temporary employees

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद नगर निगम में सन 1999 से माली के पद पर नियमित रूप से कम कर रहे अस्थाई कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद, फैसला सुनाया गया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी.वराले की बेंच ने स्पष्ट किया कि, भारतीय श्रम कानून स्थायी प्रकृति के काम वाले पद पर लगातार दैनिक वेतन या संविदा पर कर्मचारी रखने का विरोध करता है। 

Clarification of Uma Devi case 2006

शीर्ष अदालत ने निर्णय में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का उमा देवी मामले में 2006 में दिया गया निर्णय दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को (सभी प्रकार के स्थाई कर्मचारियों को) नियमितीकरण के लाभों से वंचित करके उनके शोषण को उचित नहीं ठहराता। उमा देवी मामले में कोर्ट ने कहा था कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी स्वीकृत पदों और जरूरी संवैधानिक औपचारिकताओं को पूरा किए बिना स्थायी रोजगार का दावा नहीं कर सकते। इसका तात्पर्य हुआ कि यदि वह जरूरी संवैधानिक औपचारिकता पूरी करते हैं तो स्थाई रोजगार का दावा कर सकते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अस्थाई कर्मचारियों के नियमितीकरण का आदेश 

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि, अपीलकर्ता-कर्मचारी वर्षों से स्थायी कर्मचारियों के समान कार्य करते रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित वेतन और लाभ से वंचित रखा गया। कोर्ट ने सरकार का यह तर्क भी खारिज कर दिया कि भर्ती पर रोक होने के कारण अस्थायी कर्मियों को नियमित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कर्मचारियों की अपील स्वीकार करते हुए नगर पालिका को छह माह के भीतर नियमितीकरण प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थाई पद पर अस्थाई नियुक्ति की निंदा 

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारत देश की विभिन्न सरकारों और विभिन्न सरकारी संस्थाओं की उस नीति की निंदा की है, जिसमें स्थाई पदों पर अस्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, कर्मचारियों को नौकरी के स्थायी लाभ देने से बचने के लिए सरकारों द्वारा यह चतुराई की जा रही है, जो मूल रूप से गलत है। यदि कोई पद स्थाई नियुक्ति के लिए स्वीकृत है तो उस पद पर अस्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए। यदि सरकार ने नियमित कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लगा दी है तो सरकार को ऐसे प्रबंध हटाकर स्थाई कर्मचारियों की भर्ती करना चाहिए।

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