भारत की न्यायिक प्रक्रिया (JUDICIAL PROCESSES) में बड़ा टेक्निकल अपडेट आने वाला है। केंद्र सरकार की ओर से 7210 करोड़ रुपए आवंटित किए जा चुके हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर ब्लॉकचेन तक टोटल 24 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। आने वाले दिनों में, कोर्ट में तारीख देने का काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से होगा और ब्लॉकचेन के माध्यम से वारंट जारी होंगे ताकि जारी किया गया वारंट, प्राप्तकर्ता को डायरेक्ट हिट करेगा।
e-Courts software में क्या नया होने वाला है
विधि एवं न्याय राज्यमंत्री तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जानकारी और उनके मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार ई कोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे चरण के तहत कोर्ट की व्यवस्था को और अधिक दोस्त करने एवं पब्लिक के लिए सहज बनाने के लक्ष्य से सभी नई टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेटेड करके एक स्मार्ट सिस्टम बनाया जा रहा है। इसके कारण रजिस्ट्रियों के काम का बोझ बहुत कम हो जाएगा। Artificial Intelligence (Al) , Machine Learning (ML), Optical Character Recognition (OCR), Natural Language Processing (NLP) इत्यादि का उपयोग करते हुए e-Courts software applications को अपडेट किया जा रहा है।
AI का भारतीय न्यायिक प्रणाली में क्या काम
मंत्री महोदय ने बताया कि न्यायालय की प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग Intelligent Scheduling में किया जाएगा। अर्थात कोर्ट में तारीखों का निर्धारण अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस करेगा। सिर्फ इतना ही नहीं, AI बड़ी ही आसानी से गोलू गवाहों को पकड़ लेगा। फिर चाहे वह अपनी पूरी पहचान बदलकर क्यों ना आ जाए। जैसे ही वह हस्ताक्षर करेगा, या कुछ भी लिखेगा, AI उसकी राइटिंग पहचान लेगा। यहां गोलू गवाह से तात्पर फर्जी गवाह से है। AI के कारण प्रशासनिक दक्षता में सुधार होगा। Natural Language Processing (NLP) के माध्यम से भाषा की सभी बाध्यताएं समाप्त हो जाएंगी। Automated filing की मदद से बैक ऑफिस का काम फास्ट होगा।
Court का Chatbots आपकी हर सवाल का जवाब देगा
सिर्फ इतना ही नहीं आम जनता के, याचिकाकर्ताओं के, गवाहों के, अथवा किसी भी पक्ष से जुड़े हुए व्यक्तियों के FAQ - सामान्य सवालों के जवाब Chatbots के माध्यम से दिए जाएंगे। यदि आप भूल गए हैं और अपनी तारीख पता करना चाहते हैं तो Chatbots से पूछ सकते हैं। कम से कम इस मामले के लिए वकील की डायरी की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ इतना ही नहीं किसी भी प्रकार की याचिका दाखिल करने से पहले अथवा न्याय प्रक्रिया के किसी भी पड़ाव पर, अधिवक्ता अथवा आम आदमी के मन में जो भी प्रश्न उपस्थित होते हैं। उन सबके फटाफट जवाब मिलेंगे।
किसी ने कोर्ट के कंप्यूटर को हैक कर लिया तो..?
निजता के अधिकार को संरक्षित करने के उद्देश्य से डेटा की सुरक्षा हेतु सुरक्षित कनेक्टिविटी एवं प्रमाणीकरण तंत्र के बारे में सुझाव/सिफारिश देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के ई-कमेटी के अध्यक्ष द्वारा डोमेन विशेषज्ञों से लैस तकनीकी कार्य समूह के सदस्यों की सहायता से विभिन्न उच्च न्यायालयों के छह न्यायाधीशों की एक उप-समिति का गठन किया गया है। इस उप-समिति को डेटा सुरक्षा को मजबूत करने और नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा के लिए उपाय सुझाने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के तहत तैयार किए गए डिजिटल बुनियादी ढांचे, नेटवर्क और सेवाओं की आपूर्ति से जुड़े समाधानों का पूरी गंभीरता से मूल्यांकन व जांच करने का आदेश दिया गया है।
ब्लॉकचेन क्या होता है और कोर्ट में इसका क्या काम
ब्लॉकचेन कोई डिजिटल हथकड़ी नहीं है परंतु एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो 100% गोपनीयता की गारंटी होती है। ब्लॉकचेन के माध्यम से जो भी जानकारी भेजी जाती है, वह जानकारी केवल भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के बीच में ही रहती है। इसके अलावा कितना भी बड़ा टेक्निकल एक्सपर्ट, कितना भी धुरंधर हैकर, उसमें छेड़छाड़ नहीं कर सकता है। यदि ब्लाकचैन टेक्नोलॉजी से वारंट जारी किया गया तो वह सीधे वारंटी के पास पहुंच जाएगा और वारंटी किसी भी कीमत पर यह नहीं कह पाएगा कि वारंट उसे नहीं मिला था। वारंट तामील करने के लिए पुलिस की जरूरत नहीं पड़ेगी। जैसे ही वारंटी अपने मोबाइल फोन में फाइल ओपन करेगा, कोर्ट को उसकी पावती मिल जाएगी।
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