जब कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक या न्यायालय के समक्ष कोई बयान, कथन आदि देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य होता है और अधिकारी या न्यायालय ऐसे बयान को लिखित में दर्ज कर लेता है तथा बयान देने वाले व्यक्ति को उस पर हस्ताक्षर करने होते हैं। अगर वह व्यक्ति अपने दिए हुए कथन या बयान पर हस्ताक्षर नहीं करता है, तब कानून उसे क्या दंड देगा, जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 215 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति विधि द्वारा प्राधिकृत लोक सेवक के समक्ष कथन या बयान देता है या न्यायालय में मजिस्ट्रेट के समक्ष सक्षम बयान या कथन देता है, तब न्यायालय उस व्यक्ति से दिए गए कथन या बयान पर हस्ताक्षर करने को कहता है और वह व्यक्ति हस्ताक्षर करने से मना कर देता है, तब उसे BNS की धारा 215 के अंतर्गत दंडित किया जाएगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023, Section 215 Provision of Punishment
यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं, अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज नहीं होगी। इस अपराध के लिए कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज करवा सकता है एवं इस अपराध की सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है।
सजा - इस अपराध के लिए तीन माह का सादा कारावास या पाँच हज़ार रुपये जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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