चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा, कि जिस तरह फिल्म पुष्पा में तस्करों और व्यापारियों का सिंडिकेट इतना दबदबा बनाने लगता है, कि पुलिस, वन विभाग और अंततः विधायक तक शासन का कोई भी हिस्साअछूता नहीं रह जाता। यह दर्शाता है, कि कैसे अवैध लकड़ी का व्यापार करने वाले राक्षस माफिया घने जंगलों में घुस जाते हैं और राज्य मशीनरी के साथ मिली-भगत करके जंगल की प्राकृतिक संपदा को लूट सकते हैं। कार्यपालिका वन उपज विक्रेताओं के ऐसे सिंडिकेट के प्रभाव और दबदबे के आगे झुक जाती है। मध्य प्रदेश में भी यही स्थिति है। "पुष्पा की सरकार" से तात्पर्य है सिंडिकेट के दबाव में, सिंडिकेट के फायदे के लिए, प्रकृति का नुकसान करने वाली सरकार।
शिवराज सिंह ने इसे किसानों के लिए फायदेमंद बताया था
उपरोक्त टिप्पणी करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा 24 सितंबर 2015 को जारी किए गए उसे नोटिफिकेशन को निरस्त कर दिया है जिसमें 53 प्रजातियों की कटाई और परिवहन की छूट दी गई थी। इस नोटिफिकेशन को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के लिए फायदेमंद बताते हुए कहा था कि, किसान अपने खेतों में लगे नीम, बबूल, सागौन को काट कर बेच सकते हैं। कटाई और परिवहन को अतिरिक्त आय का जरिया बना सकते हैं। इसके कारण किसानों की आए तो नहीं बड़ी परंतु पेड़ों की कटाई बढ़ गई। शिवराज सिंह चौहान स्वयं रोज एक पेड़ लगाते हैं परंतु इसी मध्य प्रदेश में उनके नोटिफिकेशन के कारण रोज सैकड़ो पेड़ कट जाते हैं।
शिवराज सरकार के एक नोटिफिकेशन ने पर्यावरण को खतरे में डाल दिया
जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस वीरेंदर सिंह की डिविजन बेंच के समक्ष रिट पिटिशन दायर की गई थी। इसमें उल्लेख था कि राज्य सरकार के एक नोटिफिकेशन ने पर्यावरण को खतरे में डाल दिया है। इन प्रजातियों में पीपल, बरगद, आम जैसे धार्मिक आस्था वाले पेड़ भी शामिल हैं। इससे नुकसान यह हो रहा है कि 50 से 100 साल पुराने पेड़ भी कटकर बाजार में बिकने आ रहे थे। इस नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जानी चाहिए। ज्यादा कटाई होने से प्रदेश में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है जो चिंता का विषय है।
व्यापारियों ने कहा था लेकिन शिवराज सिंह नहीं माने
हाई कोर्ट ने याचिका काे अंतरिम रूप से सुनते हुए नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी। सरकार को आठ सप्ताह में विस्तृत जवाब पेश करने के लिए भी कहा है। यहां याद दिलाना जरूरी है कि, इस नोटिफिकेशन के बाद टिंबर मार्केट के व्यापारी भी सीएम शिवराज सिंह चौहान से मिलने गए थे और उन्होंने कहा था कि आस्था वाले पेड़ों को इस सूची से हटा दिया जाना चाहिए। व्यापारियों की मांग और संवेदनशील मुद्दे पर ध्यान दिलाए जाने के बाद भी तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नोटिफिकेशन में संशोधन नहीं किया था।
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