मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, इस मामले में दुनिया का इकलौता ऐसा शहर है जहां पर हिंदू, मुसलमान और टाइगर एक साथ रहते हैं। सब की संख्या प्रभावशाली है और सब की सब शक्तिशाली है। इसके बाद भी शहर में शांति है। रमजान का महीना चल रहा है। भोपाल जैसे शहर में इफ्तार पार्टियों का जबरदस्त आयोजन होगा। सीएम हाउस में भी इफ्तार पार्टी हुआ करती थी लेकिन पिछले दिनों बंद हो गई थी। लोग अब नए मुख्यमंत्री मोहन यादव की तरफ देख रहे हैं। वह इस मामले में क्या फैसला लेते हैं।
मध्य प्रदेश के सीएम हाउस में इफ्तार पार्टी का इतिहास
मुस्लिम समाज को लुभाने के लिए मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह ने सीएम हाउस में इफ्तार पार्टी का सबसे पहला आयोजन किया था। इसके बाद मुस्लिम समाज के प्रयासों से यह परंपरा दिग्विजय सिंह सरकार तक लगातार बनी रही। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, एक कदम आगे बढ़ गए। उन्होंने सीएम हाउस में स्टेट लेवल की रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। पूरे मध्य प्रदेश के मुस्लिम नेताओं को बुलाया गया। 2019 में जब मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का गठन हुआ तो, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इफ्तार पार्टी को समय की बर्बादी बात कर इसका आयोजन निरस्त कर दिया। कमलनाथ की बात शिवराज सिंह फिर से मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी कमलनाथ के फैसले को नहीं बदला।
सीएम हाउस में इफ्तार पार्टी के लिए मुस्लिम पक्ष की दलील
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में सरकार की ओर से अच्छी पहल की है। वह सभी समाजों के तीज त्यौहार सरकारी स्तर पर मना रहे हैं। हाल ही में उन्होंने आदिवासियों के भगोरिया उत्सव को राजकीय दर्जा दिया है। इसलिए मुस्लिम पक्ष भी उम्मीद करता है कि, सीएम हाउस में इफ्तार पार्टी की परंपरा जो कमलनाथ ने बंद कर दी थी, फिर से शुरू हो जाएगी।
मुख्यमंत्री के फैसले की प्रतीक्षा
जहां एक और मुस्लिम पक्ष सीएम हाउस में रोजा इफ्तार की पार्टी की परंपरा को फिर से शुरू करना चाहता है वहीं दूसरी और भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता, इसके कतई पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि, कमलनाथ द्वारा इफ्तार पार्टी बंद कर देने के बाद भी पिछले विधानसभा चुनाव में भोपाल के मुस्लिम पक्ष ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनने के लिए काम किया था। भारतीय जनता पार्टी उनके प्रति कितना भी मित्र व्यवहार करें परंतु मुस्लिम पक्ष हमेशा कांग्रेस पार्टी के साथ बना रहता है। वैसे भी रमजान तो इंद्रियों पर नियंत्रण की मासिक तपस्या है। यह कोई त्यौहार नहीं है।
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