INDORE-BHOPAL का वाटर मैनेजमेंट सिस्टम देश भर में नंबर वन - NBT की रिसर्च

मध्य प्रदेश सरकार एवं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल एवं इंदौर के जिला प्रशासन और नगर निगम के पास प्राउड करने का एक और कारण बन गया है। नवभारत टाइम्स ने अपनी एक रिसर्च में इंदौर और भोपाल के वाटर मैनेजमेंट सिस्टम को देश का सबसे अच्छा वाटर मैनेजमेंट सिस्टम बताया है। इसके अलावा ठाणे, विजयवाड़ा और नागपुर का नाम दर्ज किया गया है। नवभारत टाइम्स में दिल्ली सरकार को सलाह दी है कि, दिल्ली के जल संकट को दूर करने के लिए उन्हें इंदौर, भोपाल, ठाणे, विजयवाड़ा और नागपुर के वाटर मैनेजमेंट सिस्टम सीखना चाहिए। 

INDORE से क्या सीख सकती है DELHI

एक्सपर्ट का कहना है कि मध्य प्रदेश का शहर इंदौर न सिर्फ स्वच्छता के मामले में देश भर के शहरों में अग्रणी है, बल्कि वॉटर सप्लाई के मामले में भी दूसरे शहरों की तुलना में आगे हैं। इंदौर पानी सप्लाई के मामले में भी पूरी तरह से आत्म-निर्भर है। स्थानीय निकायों ने वॉटर सप्लाई के मामले में शहर को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने संसाधनों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया है। पानी की स्थिति में सुधार के लिए इंदौर में जितने भी वॉटर स्रोत है, उन्हें पहले संरक्षित किया गया। झीलों और तालाबों सहित करीब 100 से अधिक जल स्रोतों का स्थानीय प्रशासन ने कायाकल्प किया, ताकि ग्राउंड वॉटर रिचार्ज किया जा सके। 

दिल्ली की यमुना इंदौर की चोरल नदी

दिल्ली की यमुना नदी की तरह ही इंदौर से चोरल नदी गुजरती है। यह नदी यमुना की तरह हो सूख-सी गई थी, जिसे स्थानीय प्रशासन ने जिंदा किया और अब यह नदी इंदौर की लाइफलाइन बन गई है। शहर में जितने भी कुएं हैं, उन्हें फिर से पुनर्जीवित किया गया। ऐसे 90 कुओं को इंदौर में पुनर्जीवित किया गया है, जो पानी के बेहतर स्रोत साबित हुए हैं। जिस तरह यमुना नदी में 22 नालों से सीवर का पानी गिरता है, उसी तरह इंदौर में 25 नालों से कान्ह और सरस्वती नदी में सीवर पानी गिरता था, जिसे स्थानीय प्रशासन ने रोका। अब ये दोनों नदियां शहर के लिए बेहतर पानी के स्रोत हैं। 

BHOPAL से क्या सीख सकती है DELHI

दिल्ली के लिए भोपाल भी बेहतर उदाहरण है। जिस तरह से दिल्ली में पानी की कमी है, उसी तरह से कभी भोपाल की स्थिति थी लेकिन भोपाल के नगर निगम और प्रशासन ने अपने झीलों का बेहतर इस्तेमाल किया और वॉटर सप्लाई की स्थिति को काफी हद तक सुधार लिया। भोपाल में अलग-अलग आकार के 18 वॉटर बॉडी है। जिसमें भोज ताल, बड़ी झील, शाहपुरा झील, मोतिया तालाब, मुंशी हुसैन खां तालाब, मुल्ला सरोवर शामिल है। 

इन सभी झीलों का कायाकल्प किया गया। जिससे भोपाल में जितने पानी की जरूरत है, उसका 90 प्रतिशत ग्राउंड वॉटर रिचार्ज कर प्राप्त होता है। ठाणे शहर में भी पानी की कमी को पूरा करने के लिए 35 झीलों का कायाकल्प किया गया, जिससे ग्राउंड वॉटर रिचार्ज होता है और उससे ही शहर के लोगों की प्यास बुझती है।

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