बहुत लंबे समय से यह विचार रखना चाह रहा था। परंतु कुछ न कुछ सोचकर स्वयं को चुप कर लेता था। विगत कई वर्षों से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने गए मरीजों का या उनके परिजनों का लगभग हर दूसरे-तीसरे दिन फोन आता है, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की बिगड़ी हुई व्यवस्था के बारे में शिकायत करने हेतु। कई-कई दिनों तक मरीजों को ऑपरेशन के लिए इंतजार कराया जाता है। जांचों के लिए बाहर निजी स्थानों पर भेजा जाता है।
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर प्राइवेट अस्पतालों में समय दे रहे हैं
जिन डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज में सेवाएं देने के लिए वेतन दिया जाता है, वे मेडिकल कॉलेज से ज्यादा निजी अस्पतालों में समय दे रहे हैं। मेडिकल में शायद ही कोई ऐसा कर्मचारी हो जो वहाँ इलाज कराने आए हुए मरीजों और उनके परिजनों से बिना डाँटे हुए सभ्यता से बात करता हो। नर्सिंग स्टाफ तो मरीजों से ऐसा व्यवहार करता है जैसे मरीज आतंकवादी हों। वहाँ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स, जूनियर डॉक्टरों का तहलका तो सब जानते ही हैं कि जरा-सी बात पर मरीज और परिजनों की लात-घूँसों तो ठीक, हॉकी-डंडों से मारपीट तय हो जाती है। गाहे-बगाहे मेडिकल कॉलेज प्रबंधन अखबारों में खबरें छपवाता है कि फलाँ डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज में अत्यंत जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक संपन्न करवाकर मरीज को जीवनदान दिया।
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से तो प्राइवेट हॉस्पिटल अच्छे हैं
सैकड़ों करोड़ों की लागत और सागर जिला वासियों की लाखों आशाओं, उम्मीदों से बना है यह मेडिकल कॉलेज। लेकिन जिलावासियों का दुर्भाग्य देखिए कि सागर में चलने वाले छोटे-मोटे निजी अस्पतालों तक में मस्तिष्क, हृदय और रीढ़ के जटिल से जटिल ऑपरेशन किए जा रहे हैं, परंतु हमारा बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सिर्फ जनरल सर्जरी, हड्डी और महिलाओं की डिलीवरी तक सीमित होकर रह गया है। अब तो जब भी क्षेत्र का कोई व्यक्ति मुझे मेडिकल कॉलेज में भर्ती होकर व्यवस्थाओं के लिए फोन लगाता है, तो मैं उसे तुरंत डिस्चार्ज कराकर या तो भोपाल के अस्पतालों या सागर के ही अन्य अस्पतालों में भर्ती होने की सलाह भी देता हूँ और उनकी व्यवस्था भी करता हूँ।
सागरवासियों के लिए मेडिकल कॉलेज वरदान है या भयंकर श्राप
आज भोपाल में था जब सानोधा ग्राम से किसी व्यक्ति का फोन आया और उसने मुझे आज हुए दर्दनाक हादसे की और उस समय चल रहे चक्का जाम की जानकारी दी और जाँच कर न्याय की माँग की। मैंने जिला स्वास्थ्य अधिकारी और मौके पर मौजूद अनुविभागीय अधिकारी से भी बात कर वस्तुस्थिति जानने का प्रयास किया। फिर मैंने आदरणीय विधायक प्रदीप लारिया जी से बात की, उन्होंने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा कि हर संभव मदद करेंगे और जो भी दोषी होगा उस पर कार्यवाही की जाएगी। दिवंगत बालिका के परिजनों ने मुझे मृत बच्ची की देह का एक वीडियो भेजा, जिसे देखकर मेरी रूह काँप गयी और लिखने पर मजबूर होना पड़ा। हम सागरवासियों को मेडिकल कॉलेज के रूप में वरदान मिला है या भयंकर श्राप?
अब आम जनता को ही आगे आना पड़ेगा
मेरा समस्त जनप्रतिनिधियों और जनता से आग्रह है कि मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाएँ सुधारना बहुत जरूरी है। एक तरफ हमारी सरकार तरह-तरह के संसाधन मुहैया कराकर, जनकल्याणकारी योजनाएँ बनाकर, बेहतर से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर देकर गरीब आदमी के बेहतर से बेहतर इलाज का प्रबंध कर रही है, वहीं दूसरी ओर जिनके हाथों में मेडिकल कॉलेज को चलाने का जिम्मा है, वे अत्यंत असंवेदनशील हैं।
हमें ऐसा असली मेडिकल कॉलेज चाहिए जिसमें एक आम आदमी, एक गरीब आदमी बेहतरीन इलाज निःशुल्क और सम्मान सहित पा सके, न कि ऐसा मेडिकल कॉलेज जिसमें सिर्फ डॉक्टरों, कर्मचारियों और प्रबंधकों का हित हो।
यह निवेदन मैं व्यक्तिगत रूप से प्रदेश के मुखिया आदरणीय श्री डॉ. मोहन यादव जी और हमारे चिकित्सा शिक्षा मंत्री, जो हमारे प्रभारी मंत्री भी हैं, आदरणीय श्री राजेंद्र शुक्ला जी के सामने रखूँगा।
मुझे लगता है कि मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाएँ सुधारने के लिए अब आम जनता को ही आगे आना पड़ेगा।
Abhishek Gopal Bhargava (Deepu bhaiya)
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