जबलपुर। आज दिनांक 20/3/25 को मुख्य न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत तथा विवेक जैन की खंडपीठ द्वारा शिक्षक भर्ती में होल्ड अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिकाओं की विस्तृत सुनवाई की गई। इस दौरान HOLD किए गए 13% पदों को लेकर भी बातचीत हुई। अंत में हाईकोर्ट ने 13% पदों के लिए अंतरिम आदेश जारी कर दिया।
याचिकाएं क्यों दाखिल की गई
हाईकोर्ट को वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक शाह ने अवगत कराया कि शिक्षक भर्ती की द्वितीय काउंसलिंग में याचिकाकर्ताओं को चयन/सिलेक्ट करके याचिकाकर्ताओं सहित, ओबीसी वर्ग के एक हजार से अधिक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए गए हैं न ही लिखित में कोई कारण बताया गया है। जब अभ्यर्थियों ने कारण जानना चाहा तो लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल ने सूचना अधिकार के तहत बताया है कि याचिका क्रमांक WP/18105/2021 में पारित अंतरिम आदेश दिनांक 04/08/2023 के कारण संबंधितों को नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए गए हैं। जबकि उक्त याचिका हाईकोर्ट द्वारा दिनांक 28/01/25 को खारिज की जा चुकी है, फिर भी सरकार द्वारा नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए गए हैं, इसलिए पीड़ितों द्वारा ये याचिकाएं दाखिल की गई हैं। महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि शिवम् गौतम की याचिका में दिनांक 04/05/22 को पारित अंतरिम आदेश के कारण ओबीसी वर्ग को नियुक्ति नहीं दी जा रही है।
छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण लागू
तब वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि उक्त शिवम् गौतम की याचिका में पारित अंतरिम आदेश का महाधिवक्ता बता रहे हैं, वह याचिका हाईकोर्ट से डिस्पोज आफ हो चुकी है एवं उक्त याचिका, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करा दी गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई भी अंतरिम आदेश पारित नहीं किया गया है। बल्कि उक्त याचिका सुप्रीम कोर्ट में जिन याचिकाओं से लिंक है उनमें सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच द्वारा दिनांक 24/02/2025 को अंतरिम आदेश पारित करके छत्तीसगढ़ राज्य में 58% आरक्षण लागू करने की अनुमति दी गई है।
मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के लिए हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश
तब हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि दोनों राज्यों का विवाद एक समान है, फिर सुप्रीम कोर्ट का उक्त आदेश मध्य प्रदेश में क्यों न लागू कर दिया जाए, तब महाधिवक्ता ने कोर्ट को तत्संबंध में सरकार से इंस्ट्रक्शन लेने का समय माँगा। तब हाईकोर्ट ने टिप्पणी की, "ये अजीब बात है सरकार अपना कानून क्यों लागू नहीं करना चाहती!" हाईकोर्ट द्वारा आज अंतरिम आदेश पारित कर कहा गया कि राज्य सेवा की समस्त भर्तियों में भले ही प्रक्रिया समाप्त हो चुकी हो, उन सभी में ओबीसी के 13% पद रिक्त रखे जाएँ जो याचिकाओं के निर्णय उपरांत निराकृत किए जाएँगे तथा हाईकोर्ट ने कहा कि उक्त प्रकरणों में 2019 से अब तक की समस्त भर्तियों से संबंधित तथ्यों को लिखित में दाखिल करें।
प्रकरणों की WP/2287/2025, WP/5345/2025 की आगामी सुनवाई 04/04/25 नियत की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह, पुष्पेंद्र शाह, रूप सिंह मरावी ने की। विनम्र अनुरोध🙏कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें।
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