मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के लिए 52 ट्रांसफर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ी बात कही है। हालांकि यह आदेश नहीं है परंतु ओबीसी पक्ष इसे एक महत्वपूर्ण रणनीतिक जीत मां रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण के समस्त प्रकरणों को जबलपुर हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कराने के उद्देश्य से 2023 से 2025 तक लगभग एक सैकड़ा ट्रांसफर याचिकाएं दायर कर दी गई हैं। अधिकांश याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट में की जा रही सुनवाई पर स्टे कर दिया गया था तथा बाद में उन मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश भी दे दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
आज की सुनवाई के दौरान अपाक्स संघ की याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़कर कोर्ट को यह बताने की कोशिश की, कि मध्य प्रदेश में सरकार 87-13% के फॉर्मूले पर नियुक्तियाँ दे रही है, जो असंवैधानिक है, जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट छत्तीसगढ़ के कई प्रकरणों में 58% आरक्षण के अनुसार याचिका के निर्णयाधीन नियुक्तियाँ देने की अंतरिम राहत दे चुका है। तब कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि मध्य प्रदेश राज्य भी उक्त आदेशानुसार नियुक्तियाँ दे सकता है।
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