MP आउटसोर्स कर्मचारियों का मुद्दा विधानसभा में गूंजा, गुड न्यूज़ की संभावना, पढ़िए Bhopal Samachar

मध्य प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के स्वयंभू नेता कमलनाथ ने वचन दिया था कि उनका मुद्दा विधानसभा में उठाएंगे, परंतु उन्होंने अपना वादा नहीं निभाया। इसके बावजूद विधानसभा में आउटसोर्स कर्मचारियों का मुद्दा गुंजा। प्रश्न काल में इस विषय को लेकर लंबी बातचीत हुई। भाजपा के विधायकों ने आउटसोर्स कर्मचारी की सोशल सिक्योरिटी को लेकर अपनी चिंता से सरकार को अवगत कराया। उम्मीद है इसका असर पड़ेगा। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आउटसोर्स कर्मचारी के लिए पॉलिसी में परिवर्तन होगा। 

विधायक जितेंद्र सिंह राठौड़ ने आउटसोर्स कर्मचारी का मामला उठाया

मध्य प्रदेश विधानसभा में प्रश्न कल के दौरान विधायक जितेंद्र सिंह राठौड़ ने संविदा कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों की तरह सुविधा देने का मामला उठाते हुए कहा कि पूरा काम लिए जाने के बाद भी शासकीय कर्मचारियों के समान वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं नहीं दी जाती हैं। इस तरह का अन्याय हो रहा है इस मामले में सरकार क्या करने जा रही है।
इसके जवाब में मंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के दृष्टि से राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ दिए जाने का प्रावधान है। संविदा कर्मचारियों को राज्य शासन के नियमित पदों के विरुद्ध प्रदर्शित किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ देने और उपादान (सामग्री) के लिए वित्त विभाग द्वारा नियम बनाए जा रहे हैं। इसमें तीन से चार महीने का समय लगेगा।

कांग्रेस नहीं बीजेपी के जयंत मलैया और शैलेंद्र सिंह ने समर्थन किया

पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी विधायक जयंत मलैया ने पूछा- विभागों और शासकीय उपक्रमों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों के भविष्य के लेकर सरकार क्या फैसला करने जा रही है। आउटसोर्स कर्मचारी को वार्षिक आधार पर कितने प्रतिशत वृद्धि दी जाती है। उनके सुरक्षित भविष्य के लेकर शासन की कोई कार्य योजना है या नहीं।
इसके जवाब में मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा- आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं जरूरत के हिसाब से ली जाती हैं। आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा शर्तें नियमित कर्मचारियों के समान न होकर अलग होती हैं।
इस पर मलैया ने कहा कि हमारा राज्य वेलफेयर स्टेट है। इसलिए उनका ध्यान रखना चाहिए। 
इस पर सागर से भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा- यह मानवीय हितों से जुड़ा मुद्दा है। 15 साल, 17 साल तक आउटसोर्स की नौकरी करने वाले बगैर सोशल सिक्योरिटी के रिटायर हो जाते हैं। इसलिए कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। 

आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए - ना कमलनाथ ना कांग्रेस

यहां ध्यान देना जरूरी है कि विधानसभा के इतने महत्वपूर्ण सत्र में कमलनाथ उपस्थित नहीं थे। जब वह विधानसभा में आए थे तब भी उन्होंने आउटसोर्स कर्मचारी का मुद्दा नहीं उठाया। आउटसोर्स कर्मचारी के समर्थन में कमलनाथ और उनके समर्थक विधायकों द्वारा कोई प्रदर्शन नहीं किया गया। जबकि मीडिया रिपोर्ट्स में कमलनाथ को मध्य प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारी का संरक्षक बताया जाता है। जब भी किसी प्रदर्शन के दौरान आउटसोर्स कर्मचारी की भीड़ इकट्ठी हो जाती है तो इसका नेतृत्व करने के लिए कभी कमलनाथ और कभी जीतू पटवारी आ जाते हैं।

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